किसी राष्ट्र को समझना हो तो उसकी संस्कृति को समझना आवश्यक है। उसकी संस्कृति को समझने हेतु वहां की भाषा का ज्ञान भी आवश्यक है। विश्व के लगभग सभी देशों की अपनी अपनी राजभाषाएँ हैं जिनके माध्यम उनके देशवासी परस्पर संवाद, व्यवहार, लेखन, पठन-पाठन इत्यादि कार्य करते हैं। स्वभाषा ही व्यक्ति को स्वच्छंद अभिव्यक्ति, सोचने […]
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ऐसे हुई श्रीराम जन्मभूमि की मुक्ति -विनोद बंसल
ईस्वी सन् 1528 से लेकर आज तक भारत के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद ने असंख्य उतार-चढ़ाव देखे हैं। एक ओर उसने वह असहनीय दर्द सहा जब भव्य तथा विशाल मंदिर को धूल धूसरित कर अपने सत्ता मद में चूर एक विदेशी आक्रान्ता ने भारत की आस्था को कुचलकर देश के स्वाभिमान की नृशंस ह्त्या का दुस्साहस किया। […]