चीन की बढ़ती दखलअंदाजी के बीच नेपाल के प्रधानमंत्री का भारत दौरा दोनों देशों से संबंधों को नई दिशा देगा।
नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा जी तीन दिवसीय यात्रा के लिए भारत पहुंचे हैं। वह 2 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे। दिल्ली में आधिकारिक मुलाकातों के अलावा नेपाली पीएम वाराणसी भी जाएंगे। नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की भारत यात्रा को द्विपक्षीय संबंधों में सुधार की दिशा में बेहद अहम माना जा रहा है।
वैसे तो भारत एवं नेपाल के रिश्ते ऐतिहासिक एवं पारंपरिक रूप से प्रगाढ़ रहे हैं, लेकिन हाल के वर्षों में वहां चीन का दखल बढ़ने लगा है। इसलिए माना जा रहा है कि उनकी यात्रा का मकसद दोनों देशों के बीच के संबंधों को मजबूत करना है। बता दें कि जुलाई 2021 में नेपाल का प्रधानमंत्री बनने के बाद देउबा का यह पहला भारत दौरा है। इससे पहले वह चार बार नेपाल के पीएम रहे और हर कार्यकाल में उन्होंने भारत का दौरा किया।
पिछले कुछ वर्षों में बिगड़े भारत-नेपाल संबंध
पिछले कुछ वर्षों में, खास तौर पर केपी. शर्मा ओली के नेतृत्व वाली कम्युनिस्ट सरकार में दोनों देशों के संबंधों में तल्खी आ गई थी और ओली के चीन की तरफ ज्यादा झुकाव देखा जा रहा था। शर्मा ने चीन से रिश्ते प्रगाढ़ बनाने की कोशिश की जिसमें काफी हद तक वे सफल भी रहे। यही नहीं चीन की शह पर भी कालापानी सीमा विवाद को भी हवा दी गई, जबकि उसके समाधान के लिए दोनों देशों के बीच एक तंत्र स्थापित है। इस दौरान नेपाल को चीन की मदद भी बढ़ी है और यह सिलसिला जारी है। इस वजह से भारत लगातार नेपाल से संबंध बेहतर बनाने के प्रयास में जुटा हुआ था। ऐसी स्थिति में देउबा की भारत यात्रा को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
इस बीच चीन के विदेश मंत्री ने हाल ही भारत के बाद नेपाल का दौरा किया और नेपाल के साथ कई नए समझौते किये। इनमें से कुछ भारत के लिए परेशान करने वाले हो सकते हैं। जैसे एक समझौता चीन एवं नेपाल के बीच रेल संपर्क जोड़ने को लेकर है। एक दोनों देशों के बीच पावर ग्रिड कनेक्टिविटी की भी बातचीत चल रही है। भारत इसे नेपाल में चीन के प्रभुत्व बढ़ाने की कोशिश के रुप में देख रहा है।