HEALTH

कीटो डाइट का उपयोग हानिकारक -डॉ. अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल

आजकल आम आदमी अपने स्वास्थ्य के प्रति बहुत जागरूक हो गए और आर्थिक सम्पन्नता के कारण उनमे अपने स्वास्थ्य के प्रति चिंता  रखना स्वाभाविक हैं। आजकल नए नए प्रयोगों से फायदा के साथ हानियां भी होने की जानकारियां मिलती हैं। वैसे हम यदिसंतुलित  शाकाहार भोजन करे,समय से खाना खाये ,व्यायाम करना जरुरी हैं। यदि हम कोई नया प्रयोग करे उसके पहले उसके गुणदोषों को भी देखना चाहिए। बाज़ारवाद के कारण आधुनिक प्रयोगों से जानजोखिम का खतरा बढ़ता जा रहा हैं। वज़न घटाने के समय यह ध्यान रखना जरुरी हैं हमारा भोजन संतुलित होना चाहिए। कोई भी घटक  कम होने से हमारे शरीर में विपरीत प्रभाव पड़ता हैं। जैसे प्रोटीन, फैट, शर्करा, मिनरल्स का होना आवश्यक हैं। पानी की मात्रा भी पर्याप्त होना चाहिए।

डॉक्टरों का मानना है कि यदि किसी व्यक्ति को क्रोनिक किडनी डिजीज है, तो उसे मॉडरेट प्रोटीन की मात्रा भी सावधानी से बढ़ानी चाहिए, अन्यथा किडनी फेल हो सकती है।

वजन घटाने के लिए लोग सैकड़ों तरह के उपाय करते हैं। इसके लिए लाइफस्टाइल में बदलाव के साथ ही हेल्दी डाइट और नियमित एक्सरसाइज की जरूरत पड़ती है। लेकिन इसके अलावा भी कई अन्य तरीके हैं, जिन्हें आजमाने के कुछ दिन बाद ही फर्क नजर आने लगता है और वजन तेजी से घटता है।

कीटो डाइट को कीटोजेनिक डाइट के नाम से जाना जाता है। यह पूरी दुनिया में एक बेहद पॉपुलर वेट लॉस डाइट है। इस डाइट में फैट उच्च मात्रा में, प्रोटीन मॉडरेट और कार्बोहाइड्रेट बहुत ही कम मात्रा में पाया जाता है, जो कीटोसिस के जरिए वजन घटाने में मदद करता है। दरअसल, कीटोसिस एक मेटाबोलिक स्टेट है जहां लिवर बॉडी फैट को जला  करके शरीर को ऊर्जा देता है। इस दौरान शरीर ग्लूकोज का इस्तेमाल नहीं कर पाता है।

एक क्लासिक कीटो डाइट में व्यक्ति को 90 प्रतिशत कैलोरी फैट से, 6 प्रतिशत प्रोटीन से और 4 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट की आवश्यकता पड़ती है। यदि किसी मरीज को दौरे पड़ रहे हों और वह कार्बाहाइड्रेट न पचा पा रहा हो, तो इस स्थिति में उसे कीटो डाइट दी जाती है।  आहार विशेषज्ञ का मानना है कि आमतौर पर पॉपुलर कीटोजेनिक डाइट में औसतन 70 से 80 प्रतिशत फैट, 5-10 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट और 10-20 प्रतिशत प्रोटीन की जरूरत पड़ती है। इस डाइट में कार्बोहाइड्रेट वाले फूड नहीं खाए जाते हैं।

कीटो डाइट में क्या शामिल होता है?

कीटो डाइट में  फुल फैट डेयरी, अखरोट और मैकेडेमिया, बादाम, लौकी के बीज, मूंगफली और अलसी शामिल होता है। इसके अलावा कोकोनट ऑयल, ऑलिव ऑयल, एवोकैडो ऑयल, कोकोनट बटर और शीशम ऑयल शामिल किया जाता है। साथ ही बिना स्टार्च वाली सब्जियां जैसे ब्रोकली, टमाटर, मशरूम और शिमला मिर्च शामिल किया जाता है।

कीटो डाइट का शरीर पर प्रभाव

अगर आपके शरीर को पर्याप्त कार्बोहाइड्रेट नहीं मिलता है, तो ग्लूकोज को जलाने के बाद लिवर शरीर को ऊर्जा देने के लिए फैट को तोड़ना शुरू कर देता है। सभी तरह की फास्टिंग में कीटोसिस बहुत आम है। लेकिन कीटो डाइट में शरीर कीटोन से ऊर्जा लेने लगता है। यह एक घातक स्थिति होती है।

इसके कारण शरीर में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन ए, डी, ई, के और कैल्शियम, फॉस्फोरस एवं सोडियम जैसे पोषक तत्वों की कमी होने लगती है। कार्बोहाइड्रेट की कमी के कारण कुछ ही दिनों में भूख, प्यास, चिड़चिड़ापन, कब्ज, सिरदर्द और ब्रेन फॉग जैसी समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं।

कीटो डाइट का किडनी पर क्या प्रभाव पड़ता है?

डॉक्टरों का मानना है कि यदि किसी व्यक्ति को क्रोनिक किडनी डिजीज है, तो उसे मॉडरेट प्रोटीन की मात्रा भी सावधानीसे बढ़ानी चाहिए, अन्यथा किडनी फेल हो सकती है। कीटो डाइट को शुरू करने से पहले व्यक्ति को अपनी किडनी की जांच करा लेनी चाहिए। दरअसल, कीटो डाइट किडनी पर स्ट्रेस डालता है जिसके कारण किडनी स्टोन हो सकता है।

डॉक्टर की सलाह के बिना वजन घटाने के लिए कीटो डाइट नहीं आजमाना चाहिए। इससे स्वास्थ्य पर खराब असर पड़ सकता है। इसके कारण शरीर में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन ए, डी, ई, के और कैल्शियम, फॉस्फोरस एवं सोडियम जैसे पोषक तत्वों की कमी होने लगती है। कार्बोहाइड्रेट की कमी के कारण कुछ ही दिनों में भूख, प्यास, चिड़चिड़ापन, कब्ज, सिरदर्द और ब्रेन फॉग जैसी समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं।

कीटो डाइट का किडनी पर क्या प्रभाव पड़ता है?

डॉक्टरों का मानना है कि यदि किसी व्यक्ति को क्रोनिक किडनी डिजीज है, तो उसे मॉडरेट प्रोटीन की मात्रा भी सावधानीसे बढ़ानी चाहिए, अन्यथा किडनी फेल हो सकती है। कीटो डाइट को शुरू करने से पहले व्यक्ति को अपनी किडनी की जांच करा लेनी चाहिए। दरअसल, कीटो डाइट किडनी पर स्ट्रेस डालता है जिसके कारण किडनी स्टोन हो सकता है।

डॉक्टर की सलाह के बिना वजन घटाने के लिए कीटो डाइट नहीं आजमाना चाहिए। इससे स्वास्थ्य पर खराब असर पड़ सकता है।

शारीरिक संतुलन के साथ इस दौरान मानसिक शांति को धारण करना जरुरी हैं। डाइटिंग के दौरान अपना कार्य ऐसा करे जिससे शरीर और मन पर तनाव नहीं होना चाहिए।

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