किसान आंदोलन मे अब किसानों की फूट साफ दिखाई दे रही है। सच्चाई यह है कि आंदोलन अब कमजोर पड़ गया है। पंजाब और हरियाणा के ही किसान अब प्रदर्शन का हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं, लेकिन किसान संगठनों की जिद के कारण वह परेशान हो रहे हैं। यही कारण है कि किसान नेताओं को मंच से अपील करना पड़ रही है कि युवाओं को प्रदर्शन स्थल पर भेजा जाए। कुछ किसान ऐसे भी हैं जो प्रदर्शन स्थल से अपने घर जाना चाहते हैं लेकिन जा नहीं पा रहे हैं। कुल मिलाकर के 19वें दिन किसान नेताओं का आंदोलन डगमगाता दिख रहा है।
किसान संगठनों को उम्मीद के मुताबिक समर्थन नहीं मिल रहा है। अब तो पंजाब और हरियाणा के किसान भी साथ नहीं दे रहे हैं। राजस्थान की किसानों से उम्मीद थी लेकिन वह भी कम मात्रा में पहुंचे। यही कारण है कि संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य डॉ. दर्शन पाल ने मंच से अपील की है कि पंजाब के हर गांव से कम से कम 10 युवाओं को दिल्ली भेजा जाए।
सच्चाई यह भी है कि आंदोलन के कारण प्रदर्शनकारी अब परेशान होने लगे हैं। पिछले 19 दिनों से वे सिंधु बॉर्डर पर जमे हैं लेकिन अभी भी आंदोलन खत्म होता नहीं दिख रहा है। अब किसानों को अपने घर वापसी, कामकाज और परिजन की चिंता सताने लगी है। लुधियाना के किसान परमिंदर सिंह ने बताया कि उनके परिवार के एक सदस्य की तबीयत खराब है और वह घर जाना चाहते हैं लेकिन उनके गांव के कई किसान यहां डटे हैं। इस कारण वह चाह कर भी घर नहीं जा पा रहे हैं।
सरकार कृषि बिल को वापस नहीं लेगी-राजनाथ सिंह
फिक्की के एक कार्यक्रम में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने साफ कहा कि तीनों कृषि बिल किसानों के भले के लिए है और सरकार इन्हें वापस नहीं लेगी। उन्होंने कहा कि सरकार हमेशा से किसानों की बात सुनने के लिए तैयार है, लेकिन उनके नाम पर राजनीति नहीं होना चाहिए।
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