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शराब की दुकाने तत्काल बंद होगी तो ही क़ोरोना के मरीज़ कम होंगे, सरकार इस ओर शीघ्र उचित निर्णय करे -आचार्य श्री विद्या सागर जी महाराज 

इस देश के नागरिकों में शराब का नशा हटा कर, काम का नशा लाए सरकार- आचार्य श्री विद्या सागर जी महाराज 

अमेरिका देश शराब को क़ोरोना फैलाने का सारथी मान चुका, इसलिए शराब की दुकाने तत्काल बंद होगी तो ही क़ोरोना के मरीज़ कम होंगे, सरकार इस ओर शीघ्र उचित निर्णय करे

तीर्थोंदय तीर्थ क्षेत्र सावेर रोड पर विराजित संत शिरोमणी आचार्य श्री १०८ विद्या सागर जी महाराज ने आज भी क़ोरोना वायरस रोग को लेकर देश को संबोंधित किया। आचार्य श्री ने कहा की देश के नागरिकों को काम का नशा डाले सरकार और शराब का नशा छुड़वाए।


आचार्य श्री के संघस्थ ब्रह्मचारी सुनिल भैया जी ने बताया की आचार्य श्री ने कहा है की बड़ी मुश्किल से देश के हालत सुधरने लगे थे। क़ोरोना पर नियंत्रण को लेकर भारत ने काफ़ी सफलता पायी है, लेकिन अब शराब दुकाने खोल कर फिर से मुसीबत ले ली है। यहा की जनता गरीब वर्ग की अधिक है, ऐसे में जिस तरह विश्व में ये महामारी फैली हुई है, उस पर क़ाबू पाने के लिए सबसे पहले इन दुकान को बंद करना चाहिए। जब पूरा देश बंद है तो फिर शराब क्यू पिलायी जा रही है। सरकार ये सोचती है की वो काम कर रही है इस समय। जबकि ये सोचना सही नहीं है। पूरे भारत की जनता इस समय काम कर रही है, जनता घर पर है यही सबसे बड़ी सफलता है। फिर क्या ज़रूरत थी इन दुकान को खोलने की। हमने सुना है कुछ जगह पर दुकान के ख़िलाफ़ महिलायें विरोध में आयी है।


अमेरिकी भी मान चुके इसे मुसीबत

आचार्य श्री ने आगे कहा की ऐसा नहीं है की हम ही कह रहे है की शराब से क़ोरोना हो रहा है। अमेरिका देश भी इस बात को मान चुका है। इसलिए अब तो हर हालत में शराब की दुकाने बंद होना चाहिए। इससे फिर सम्पूर्ण लाकडाउन जो कर रखा है, उसका असर देखने को मिलेगा। अन्यथा जिस तरह पंजाब राज्य में नशा से राज्य की हालात ख़राब है उसी तरह देश भी बर्बादी की ओर अग्रसर होने लगेगा।


बरसात में मुसीबत बढ़ेगी अन्यथा

आचार्य श्री ने आगे कहा की अभी तो ग्रीष्म ऋतु का समय चल रहा है। इसमें उस रोग पर अंकुश लगाया जा सकता है। बरसात होने पर जब मोसम में नमी आएगी तो मुसीबत बढ़ने की सम्भावना रहेगी। इस ओर सरकार को शीघ्र ही उचित फ़ैसला करना ज़रूरी है। अन्यथा जितने मरीज़ अभी निकल रहे है उससे अधिक हालत ख़राब होंगे। शराब की जगह किसी अन्य स्त्रोत से सरकार आर्थिक लाभ की ओर ध्यान दे।

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