आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज अपने प्रवचन मे कहा है की यदि आप चिकित्सालय जाते हैं तो मरहम पट्टी करवाते हैं जो पट्टी आप लगाते हैं वह विदेशी नही होती है, वह खादी की होती है। क्योंकि आपके पास जो पहना हुआ वस्त्र है, उसमें से हवा पानी आर-पार नही होती है। इसलिए वह कपड़ा मरहम-पट्टी के योग्य नही होती है। आप जो वस्त्र पहनते है उससे इसीलिए चर्मरोग बढ़ जाता है। इसीलिए सूती वस्त्र विदेशो में निर्यात होता है। इसीलिए आप जब अंतिम रवाना में होते हो तो चाहे अमीर हो या गरीब हो जो कफ़न होता है वह सूती ही होता है ।मरहम पट्टी, पानी छानने के लिए ओर अंतिम रवाना में सूती ही उपयोग होता है। इसीलिए आप समझिए इसकी उपयोगिता।
अहिंसक वस्तु आप लोग जो पहने है, श्रीजी के प्रक्षालन के लिए जो वस्त्र लगते है वो आपकी दुकान में उपलब्ध नही है। इसीलिए यह वस्त्र प्राचीन काल से जबसे अभिषेक होता आया है तबसे उपलब्ध है। आप लोग जो शास्त्र रखते है उसके ऊपर के आवरण को अच्छार कहते है। इसके भीतर शास्त्र जिनवाणी को रखा जाता है। यह भी आज के जो हिंसक वस्त्र के माध्यम से रख रहे है, इसके लिए आपको सोचना ओर विचार करना चाहिए। जिनवाणी के लिए कितना आदर पूर्व अपनी तरफ़ से राशि घोषित करके हमारे सामने लाकर रखा, उसके भीतर जो जिनवाणी है उसकी पवित्रता कितनी होगी, वह भाव आपके मन मे उठ रहा है। वह वस्त्र आज हथकरघा का न रह करके जो वस्त्र हमारे पास आया है वह किन किन वस्तुओ से बना है पता नही, उनको किन किन मिश्रण से बनाया गया है, चर्बी का भी उसमे उपयोग होता है ऐसा हमने सुना है। एक प्रतिष्ठित व्यक्ति के यहा बनता था लेकिन उसे तब तक नही पता था कि वह कैसे बनता है। जब वह हमारे पास आया तब हमने उन्हें ज्ञात कराया कि उसका धागा भी हिंसक तरह से बनता है,तब उसने यह प्रण लिया कि वह अब ये इस प्रकार से वस्त्रों का निर्माण नही करेगा।
भारत अब विदेश पर निर्भर हो गया -“आचार्य श्री”
आचार्य श्री ने कहा की भारत स्वयं 70 साल से वह वस्त्र बना रहा था लेकिन अब विदेशो पर निर्भर हो गया है जो पहले हम निर्यात करते थे। किसी बालक को जो वस्त्र पहनाते है तो वह कपड़ा पसीना सोखता नही है। जीन्स की तो इतनी खराब हालत है कि भीतर पूरा पसीना हो जाता है, जो पहनते है भले पूछ लो उन लोगो से। पवित्रता के मामले में भी उसे 2-2 दिन तक धोये बिना पहन लेते है। कैंसर की बीमारी तक उस जीन्स को पहनने से हो रहा है ऐसा हमने सुना है , इसलिए आप सभी इससे दूर रहे और पवित्र कपड़ो को पहन कर के अपने मन को भी पवित्र कर