जीवन का सिलसिला बचपन के विशाल मैदान में खेलते-कूदते शिक्षण के दायरे से गुजरता हुआ जब ऐसे मोड़ पर आ ठहरता है कि मन अकेलेपन की रिक्तता भरने के लिए किसी का साथ पाने को आतुर हो उठता है। ऐसे ही मनमीत के साथ जुड़ने पर सामाजिक मोहर का नाम विवाह है। विवाह की नाजुक पतली […]
विचार
पहले बाहर से अपनी सुरक्षा मजबूत की जाए तब अंदर….
-डॉ.निर्मल जैन ( से.नि.जज) जो तत्पर हैं निज-रक्षा को रक्षित उनके अधिकार रहे। जो लड़ने को तैयार नहीं वह मिटने को तैयार रहें॥ भारी वर्षा से छत टपक रही हो, जलवायु के प्रकोप से दीवारें जर्जर हो रही हों, तेज हवा के झोंकों ने खिड़कियों के शीशे तोड़ दिये हों। तब इन सब की अनदेखी कर कमरे […]
सतत् संवाद से संभव होता विकास और बदलाव
-विष्णुदत्त शर्मा विश्व के सबसे लोकप्रिय राजनेता प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र भाई मोदी की संवादपरकता का लोहा सारी दुनिया मानती है। आज सांसार के सभी शक्तिशाली लोग उनसे मिलने को आतुर रहते हैं। विविध क्षेत्रों की श्रेष्ठ शख्सियतें भी मोदी की मुरीद हैं। किसी बड़े देश का राष्ट्राध्यक्ष हो या बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनी का मुखिया, वह भारत के […]
संत कबीर का जीवन दर्शन मनुष्य को नारायणत्व की ओर ले जाने का मार्ग प्रशस्त करता है
-डॉ. राघवेन्द्र शर्मा जब कभी भी हम अपने मन और मस्तिष्क में किसी संत अथवा महात्मा के व्यक्तित्व को धारण करते हैं तो जो आकृति मानस पटल पर उभरती है, वह भाल पर त्रिपुंड धारी, तन पर गेरुआ वस्त्र, गले में रुद्राक्षों की माला, हाथ में कमंडल और पैरों में खड़ाऊ धारण किए रूप में […]
दिखाओ चाबुक तो झुक कर सलाम करते हैं- हम वो शेर हैं जो सर्कस में काम करते हैं। डॉ. निर्मल जैन (जज)
दिखाओ चाबुक तो झुक कर सलाम करते हैं- हम वो शेर हैं जो सर्कस में काम करते हैं। डॉ. निर्मल जैन (जज)
नए साल की तारीख भले ही विदेशी, लेकिन उत्सव-भाव स्वदेशी
डॉ. निर्मल जैन (जज से.नि.) नव वर्ष दुनिया भर में हर देश, समुदाय, नगर और परिवार के लिए एक विशेष अवसर रहा है। क्योंकि यह एकमात्र ऐसा अवसर है जिसे किसी भी जाति, समुदाय और जातीयता के बावजूद मनाया जाता है। नव वर्ष के स्वागत का तरीका जो भी हो लेकिन मन में भावना एक ही रहती है […]
Vijay Dashmai: पराक्रम का पथ है विजयादशमी – शिवप्रकाश
भारतीय परम्परा में विजयादशमी भगवान श्रीराम की लंका अधिपति रावण के ऊपर विजय के प्रतीक के रूप में लंबे कालखंड से मनाया जाने वाला उत्सव है। देश के लाखों स्थानों पर इस दिन मेघनाथ एवं कुम्भकर्ण सहित राक्षस रूपी रावण के पुतलो का दहन करने की परम्परा है । इसके पूर्व शारदीय नवरात्रि के प्रारंभ […]
सावधान रहिए, चिंतित नहीं -डॉ.निर्मल जैन (जज)
हम उन चीजों से कम बीमार होते हैं जो हम खाते हैं। ज्यादा बीमार उन चीजों से होते हैं जो हमें अन्दर ही अन्दर खाती रहती हैं। कुछ रोग अनुवांशिक या कोई शारीरिक समस्या हो सकते हैं। परन्तु अधिकांश रोग हमारे अपने ही पाले हुए हैं। अपने पाले होने से अभिप्राय है -मूलत: नकारात्मक सोच। […]
इसे क्या कहेंगे? लज़्ज़ा या निर्लज़्ज़ता
आजकल प्रदर्शन का जमाना हैं, प्रकृति का भी अपना दिखावा हैं वह नैसर्गिक होता हैं। वृक्ष, नदियों, और जानवरों में कोई दिखावा नहीं होता हैं, वे हमेशा प्रकृति के नजदीक रहते हैं, वे हर समय एक समान दिखाई देते हैं, पर मानव ने ज्यों ज्यों विकास किया और मन-बुद्धि के कारण उनमे विवेक आया तो […]
क्या हनुमान चालीसा ने विचलित किया चालीस विधायकों को -डॉ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’
Did Hanuman Chalisa disturb forty MLAs – Dr. Mahendra Kumar Jain ‘Manuj’
डॉ. मुखर्जी के सपनों का भारत व्यर्थ नहीं जाएगा डॉ. मुखर्जी का बलिदान
Dr. Shyama Prasad Mukherjee,
योग से दुनिया का बढ़ता जुड़ाव – सारिका जैन #InternationalDayofYoga #IYD2022
अब ‘विश्व योग दिवस पूरी दुनिया में एक सालाना उत्सव बन गया है, जो कि योग की बढ़ती लोकप्रियता का ही प्रमाण है। इस दिन के करीब आते ही राजनेताओं से लेकर अन्य क्षेत्रों की मशहूर शख्सियतों और आमजन में भी योगासनों में हासिल अपनी क्षमता का प्रदर्शन करने की होड़ लग जाती है। वैश्विक […]
समाज सेवा से मिलती है लंबी आयु व स्वस्थ जीवन
जो व्यक्ति निःस्वार्थ भाव से समाजसेवा में रत रहते हैं, वे सामान्य व्यक्तियों के मुकाबले न केवल स्वस्थ रहते हैं, बल्कि आयु भी लंबी पाते हैं। यह बात मैं नही कह रहा हूं, बल्कि ये बात अमेरिका के मिशिगन विश्वविद्यालय के शोधकर्ता मार्क म्यूसिक व उनके सहयोगियों ने रिसर्च में सिद्ध की है। उन्होने अपनी […]
Republic Day 2022: हम भारत के लोग-शिव प्रकाश
26 जनवरी 1950 को देश ने अपना संविधान स्वीकार किया। संविधान स्वीकृति के बाद हम गणतांत्रिक देश बन गये। देश की भौगोलिक, सामाजिक एवं आर्थिक विषमताओं को ध्यान में रखते हुए हमारे संविधान निर्माताओं ने भविष्य में देश के सम्मुख आने वाली चुनौतियों का समाधान करने में सक्षम संविधान देश को दिया। संविधान की प्रस्तावना […]
भारतीय शौर्य की स्मृतियों को अक्षुण्ण रखेगा ‘वीर बाल दिवस’
भारत की स्वतंत्रता को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए हमारे पूर्वजों ने कभी मुगलों से लोहा लिया, तो कभी अंग्रेजों से जूझते रहे। फल स्वरूप देश का अस्तित्व आतताइयों के आतंकों से प्रभावित तो रहा, लेकिन कभी भी उसने पूरी तरह हार नहीं मानी। हमारे ऐसे ही पराक्रमी पूर्वजों में से एक हैं गुरु गोविंद […]
तीन पीढ़ियों के महाबालिदानी – गुरू गोविन्द सिंह जी
लेखक – विनोद बंसल दुनिया में देश व धर्म की रक्षार्थ अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले महा पुरुष तो अनेक मिलेंगे किन्तु अपनी तीन पीडियों बल्कि यों कहें कि अपने पूरे वंश को इस पुनीत कार्य हेतु बलिदान करने वाले विश्व में शायद एकमेव महा-पुरुष गुरू गोविन्द सिंह जी महाराज ही होंगे. दिल्ली के चाँदनी […]
नव सृजन से हो नव-वर्ष का अभिनंदन -विनोद बंसल
भारत व्रत, पर्व व त्योहारों का देश है। यूं तो हम हर दिन को पावन मानते हैं। महापुरुषों की मृत्यु के दिनों पर भी हम छाती पीटते या शोक व्यक्त करने के स्थान पर उसे पुण्य तिथि के रूप में मनाते हुए कुछ नव-संकल्पों के साथ उनके बताए मार्ग पर चलने की प्रेरणा लेते हैं। हम […]
1971 में भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ा हुआ था -जनरल वी.के. सिंह
14 दिसम्बर 1971 को वायुसेना के फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों श्रीनगर में सेवारत थे। पाकिस्तानी वायुसेना के हमलों से कश्मीर घाटी की रक्षा का दायित्व सेखों और उनके साथियों के कन्धों पर था। अचानक समाचार आया कि छह पाकिस्तानी लड़ाकू सेबर विमान भारत सीमा को पार कर चुके हैं। इससे पहले कि भारतीय वायु […]
जब जनेऊ ने बचाया जीवन : विनोद बंसल
क्या कोई कल्पना कर सकता है कि एक व्यक्ति के शरीर से लिपटा धागा भी किसी का जीवन बचा सकता है! सामान्य तौर पर यह बात पचती नहीं। हाँ! आस्थावान हिन्दू जनेऊ के धार्मिक व आध्यात्मिक पहलू से भली भांति परिचित होता है किन्तु, इसके धारण करने वाले के अलावा किसी अन्य व्यक्ति का जीवन […]
व्यर्थ ना जाए नाली में – डॉ निर्मल जैन (न्यायाधीश)
हाल ही में हमने जय-जवान जय-किसान नारा देने वाले भारत के यशस्वी कर्मठ प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री की जन्म-जयंती मनाई। तत्समय अन्न संकट को दूर करने के लिए उन्ही का उद्घोष था – देश हित और स्वास्थ्य हित में सप्ताह में एक समय सभी लोग उपवास रखें। अनाज की बरबादी तो असहनीय है। मैंने किसान के […]
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल, बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
डॉ. हरीश जैन भाषा मानव संप्रेषण का एक अप्रतिम साधन है। सामाजिक व्यवहार के विभिन्न रूपों और प्रकारों में भाषायी व्यवहार का एक प्रमुख स्थान है। अपने विविध व्यवहार – क्षेत्रों में भाषा प्रयोग की दृष्टि से कुछ भाषायी समुदाय एक भाषी होते हैं और कुछ समुदाय बहुभाषी। कई भाषायी समाज ऐसे हैं जो विशिष्ट […]
लव जिहाद: न लव, न जिहाद, न साजिश, केवल स्व-निर्मित परिस्थिति -डॉ. निर्मल जैन (जज)
एक लंबी प्रतीक्षा के बाद भी जब कोई सुपरफास्ट, द्रुतगामी एक्सप्रेस ट्रेन आने की आशा धूमिल होने लगती है तब यात्री गंतव्य स्थान पर पहुंचने के लिए सामने जो भी वाहन दिखाई पड़ता है उसी को प्राथमिकता देता है। बिल्कुल यही स्थिति आजकल लव जिहाद की है। आयु के साथ-साथ तन और मन दोनों की […]
Small time repairs should also come under essential services- Nitin Saxena
New Delhi: The Indian government has failed to upgrade the list of essential services through an amendment in the 50-yzear-old Essential Services and Maintenance Act (ESMA). Till date the government is leaning on the antique belief that food, hospitals, fuel pumps and transport are the only essential services that should not be disrupted in times […]
अपने मन और कामनाओं पर लॉक-डाउन लगा के देख फिर- डॉ निर्मल जैन (न्यायाधीश)
भविष्य की सुविधाओं को खरीदने के लिए हम अपना वर्तमान बेचने लगे। सूर्योदय से देर रात तक धन और सुविधाएं की तलाश में खर्च करने से घर केवल रैन-बसेरा की तरह हो गया। परिणामतय: परिवार संघर्ष, विवाद, अशान्ति, के चलते टूटने की कगार पर आ पहुंचे। आत्मीय-रिश्ते लाक्षागृह की आग में भस्म होने लगे। सामाजिक […]
Delhi CM Arvind Kejriwal failed in building health structure particularly for combatting corona virus’ second wave – Nitin Saxena
New Delhi: There is no point in debating over the need for extension of the lockdown in the national capital, but now what is required is to make a progress report of Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal who failed in building a robust health structure particularly for combatting corona virus’ second wave that had been […]
India gunning for Modi and tags him as a failed PM
New Delhi: The callousness of Narendra Modi in handling Covid surge has now snatched away the crown from him of an effective workaholic Prime Minister of India who, as he continually claimed, stood for betterment and development of the country. Now, gone in silence and unable to answer the simple questions of failing to augment […]
ऐसे लौटेगा भारत में राम राज्य -विनोद बंसल
भारत के राष्ट्रीय पर्वों व त्योहारों में 15 अगस्त और 26 जनवरी का विशेष महत्व है। 15 अगस्त वह पावन दिवस है जब अंग्रेजी झण्डा साइमन जैक को लाल किले की प्राचीर से उतारकर तिरंगा फहराया गया था। यानी हमारा देश अंग्रेजी दासता से मुक्त हुआ था। वहीं 26 जनवरी एक ऐसा दिवस है जब […]
शॉर्टकट हमें दुखों के चक्रव्यूह में फंसाता है- डॉ. निर्मल जैन
जो कर्तव्यामृत पियेगा उसका उत्थान होगा ही। भौतिक शरीर छोड़ने के बाद भी उसका कर्तव्यामृतपान उसे महापुरुष बना देगा। रामायण में राम नहीं है, न गीता में कृष्ण बसते हैं। महावीर भी भगवती सूत्र में नहीं हैं। बाइबल में ईसा मसीह नहीं। ये सभी महापुरुष अपने-अपने कर्तव्य-मंदिर में हैं। आज हम मंदिरों, मस्जिदों, चर्चों आदि सभी पूजा स्थलों […]
बेतवा – केन नदियों का जोड़ना कितना लाभकारी होगा ?
केन नदी मध्य प्रदेश स्थित कैमूर की पहाड़ी से निकलती है और 427 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद उत्तर प्रदेश के बांदा में यमुना में मिल जाती है। वहीं बेतवा मध्य प्रदेश के रायसेन जिले से निकलती है और 576 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में यमुना […]
Indian farmers’ agitation not relenting -Nitin Saxena
The Indian farmers’ agitation is the first salvo against the corporatization of the farm produce that the over 10 million farmers across the northern part of India are protesting against for the last nearly three months at their home ground. Since their demands to nullify the Agricultural Farm Bill which, they claim, will further collapse […]
समय धन से अधिक मूल्यवान होता हैं
वैद्य अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल धन कमाने में श्रम लगता हैं ,लागत लगाना पड़ती हैं या नौकरी में समय ही और भी देना पड़ता हैं। मैं एक विभाग से सेवानिवृत प्रशासकीय अधिकारी के तौर पर हुआ। मेरे कार्यकाल में अधिकांश औषधालय दूरस्थ अंचलों में स्थित हैं। वहां पर पदस्थ अधिकांश चिकित्सक या तो मुख्यालय पर […]
मानसिक संकीर्णता का परिचय- Indian Medical Association और Ayush मंत्रालय का विवाद -डॉ. अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल
बुद्धिजीवी मेडिकल एसोशिएशन की मान्यता हैं की पूरे विश्व के साथ भारत में आधुनिक चिकित्सा का वर्चस्व रहे और होना भी चाहिए। कारण एलॉपथी सरकार की दत्तक पुत्र होने से मुख्य धारा से जुडी हैं। और कहावत हैं मूल से ब्याज अधिक प्यारा होता हैं। इन बुद्धिजीवी को जन्म के समय से ही देशी दवाएं […]
गाँधी जयंती एक औपचारिकता -डॉ.अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल
आज गाँधी जयंती या अहिंसा दिवस मात्र एक औपचारिकता होती जा रही हैं। हम जितनी अहिंसा की बात करते हैं उतनी हिंसा बढ़ती जा रही। कभी कभी अहिंसा ,सत्य ,अचौर्य ,अपरिग्रह और ब्रह्मचर्य ,शांति आदि शब्द शब्दकोष की शोभा बढ़ाने वाले हो चुके हैं। जितनी नैतिकता की बात होती हैं उतनी अनैतिकता बढ़ रही हैं। […]
हाथरस की मार्मिक घटना का आखिर हश्र क्या होगा ?-डॉ.अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल
वर्तमान में विश्व स्तर पर हिंसा ,बलात्कार ,चोरी, हिंसा और जमाखोरी आदि पाप बहुतायत में हो रहे हैं। पंच पापो का इतिहास मानव संभ्यता से से शुरू हुआ हैं। यदि न हुआ होता तो क्यों वेद, पुराणों, उपनिषदों में इनका क्यो हवाला दिया गया। इसके अलावाइनकी रोकथाम के लिए दंड व्यवस्था के साथ नैतिक शिक्षा […]
बस ! इतना सा ख्वाव है – जनबल मेरे साथ हो झंडा मेरे हाथ हो : डॉ. निर्मल जैन
अपने में कुछ जोड़ने के प्रयास में सब कुछ टूटता जा रहा है। माता-पिता के लिए आदर नहीं रहा। भाई-भाई, बहन-बहन, भाई-बहन के बीच बचपन की आत्मीयता मेरे-तेरे में बदल गयी। वरिष्ठ-जनों के प्रति सम्मान-भाव टूट रहा है। पति-पत्नी के रिश्ते बिखर रहे हैं। समाज जुड़ती तो है मगर सहिष्णुता और सद्भावना विहीन एक छितरी हुई भीड़ […]
आज है स्वतंत्रता सेनानी शहीद भगत सिंह की 113वीं जयंती, उनके लिखे कुछ प्रसिद्ध नारे जिससे भारत में क्रांति की लहर सी दौड़ पड़ी थी
28 सितंबर, 1907 को बंगा, पंजाब (वर्तमान पाकिस्तान) में जन्मे भगत सिंह, और उस दिन भारत को मिला एक महान वीर। अगर भारत में हर व्यक्ति, वयस्कों और बच्चों को समान रूप से ज्ञात एक क्रांतिकारी है, तो वह भगत सिंह के अलावा कोई नहीं है। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए 23 वर्ष की […]
सिर्फ बॉलीवुड ही नहीं भारत की कई आबादी भी ड्रग्स का शिकार हो रही है
जहाँ एक तरफ़ बॉलीवुड की रंगीन दुनिया के पीछे छुपे काले ड्रग्स का राज़ लोगो के सामने आया वही दूसरी तरफ लोग अपने मोहहले और गलियों में इस्तेमाल हो रही मारिजुआना से अंजान दिख रहे है ।। चाहे पटना के दियर (गंगा की बालुई भूमि ) का इलाका हो या बनारस का पवित्र घाट का, […]
सोशल मीडिया पर विधटनकारी विवाद के संदर्भ में अकबर बीरबल-प्रसंग- डॉ. निर्मल जैन
एक रात बादशाह अकबर ने सपना देखा कि खेत में गेहूं की बहुत सारी बालियां लगी हैं। एक गाय सारी बालियों को चर जाती है। बस एक को छोड़ देती है। बादशाह सपने का फल जानने को बेचैन हो गए। पंडितों और मौलवियों को बुलवाया। पंडितों और मौलवियों ने तिथियों की गणना की, ग्रहों की […]
हिन्दी को भी चाहिए संक्रमण से मुक्ति -विनोद बंसल
किसी राष्ट्र को समझना हो तो उसकी संस्कृति को समझना आवश्यक है। उसकी संस्कृति को समझने हेतु वहां की भाषा का ज्ञान भी आवश्यक है। विश्व के लगभग सभी देशों की अपनी अपनी राजभाषाएँ हैं जिनके माध्यम उनके देशवासी परस्पर संवाद, व्यवहार, लेखन, पठन-पाठन इत्यादि कार्य करते हैं। स्वभाषा ही व्यक्ति को स्वच्छंद अभिव्यक्ति, सोचने […]
Why Corporation of OFB will not go the BSNL way? Col KV Kuber
Recently, the Department of Defence Production, Ministry of Defence issued an Expression of Interest cum Request for Proposal inviting bids from India-based consulting agencies to provide management consulting services covering topics like strategic future growth, optimal operational strategy, organisational restructuring and other related implementation issues with respect to transition management, financing, and legal aspects, in […]
नवरात्री की वह रात
सी आर पार्क जिसे लोग चितरंजन पार्क के नाम से भी जानते हैं ,दिल्ली का एक ऐसा हिस्सा और नवरात्री के लिए प्रसिद्ध। इस जगह के बारे में क्या बताऊँ जितना कहूं कम है। नवरात्री त्यौहार कहें या पूजा यह पर्व नारीशक्ति का प्रतीक है और भारत में इसे बड़े धूम धाम से मनाया जाता […]
जो किसान आषाढ़ में आलसी रहता है उसका मामला बिगड़ जाता है : मुनि समता सागर जी
जो किसान आषाढ़ में आलसी रहता है,उस किसान का मामला बिगड़ जाता है, उसी प्रकार धर्म के क्षेत्र में आषाढ़ मास चातुर्मास की स्थापना का होता है, और दशलक्षण पर्व तक आते आते यह आधा माना जाता है, आप लोगों ने इस कोरोना काल में दशलक्षण पर्व का आनंद लिया कुछ परिवार जनों ने यंहा […]
शिक्षक दिवस 2020: जानिए डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन से जुड़ी कुछ खास बातें
यदि कोई देश को भ्रष्टाचार मुक्त और सुंदर मन वाले लोगो का राष्ट्र बनाना है, तो मुझे दृढ़तापूर्वक मानना है कि तीन प्रमुख सामाजिक सदस्य हैं जो ये कर सकते है – वे है पिता, मां और शिक्षक । […]
इंसान के रूप में भेड़िया: कैसे बचेंगी बेटियां
यूँ तो कई वजह बताते है की बलात्कार क्यों होते हैं? कभी कपड़ों पर तो कभी वक़्त पर आरोप लगते हैं। यह बात समझ के परे है की वह छोटी 8 साल की आसिफा ने क्या पहना था, या वह ३ महीने की बच्ची जिसने डायपर पहना था ? कसूर किसका है यह जवाब किसी […]
मेरी तो बस हथेली ही गीली हुई -डॉ. निर्मल जैन
दशलक्षण पर्व का समापन हो गया। कोरोना-काल में भी अपने परिवार और साथियों के स्वास्थ्य को दाँव पर लगा कर, प्रकट रूप से दस दिन सुबह-शाम मंदिरजी में पूरे समय तक धार्मिक चोला पहने रहा। लेकिन, पर्व बीते अभी कुछ घंटे ही बीते हैं। मैं फिर से जिंदगी के गणित में दो और दो मिलाकर पांच करने […]
अपरिग्रह व्रत, स्वयं को प्रकृति से जोड़े रखने का आश्वासन है -डॉ. निर्मल जैन
पर्युषण पर्व का नवां अंग, उत्तम आकिंचनधर्म। आकिंचन और परिग्रह परस्पर पूरक हैं। अपरिग्रह व्रत है, अकिंचन आत्मा का धर्म है। अकिंचन का तात्पर्य परिग्रह-शून्यता मात्र नहीं है। अपितु परिग्रह-शून्यता के मनोभावों कि सहज स्वीकृति भी है। प्रचिलित अर्थों में अपरिग्रह -पदार्थ पर स्वामित्व, आसक्ति की आकांक्षा और उनका संग्रह न करना है। किन्तु संग्रह […]
क्षमा धारण करते ही बाकी सभी धर्म का स्वत: ही समावेश हो जाता है
दशधर्म पर्व का प्रथम अंग क्षमा। भूल होना मानव स्वभाव है। लेकिन क्षमा करना दिव्यता है, दैवीय गुण है। हिंसा और आतंक की आग से सुलगते मानव को केवल क्षमा की शीतलता से ही राहत मिल सकती है। मात्र क्षमा-भाव रखने से दिन-प्रतिदिन के पारिवारिक झगड़े, पड़ोस के विवाद, रोड-रेज जैसी घटनाओं से बचा जा सकता है। जाति, रंग, छुआछूत […]
खैरात में मिली मलाई चेहरे पर लगाकर गौशाला मालिक होने का वृथा दंभ -डॉ. निर्मल जैन
जुगल किशोर जी मुख्तार ‘युगवीर’ की ‘मेरी भावना’ जब बच्चों की शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल हुई तो जैन समुदाय को ऐसा लगा जैसे मान लो कोई अलौकिक निधि प्राप्त हो गई। एक ज्वलंत प्रश्न यह है कि मेरी भावना शिक्षा सुधारों के चलते विद्धयालयों के पाठ्यक्र्म में तो शामिल कर दी गयी लेकिन श्री […]
लाकडाउन ने सिखाया स्वावलंबी बनो
लेखक- रमेश जैन कोरोना महामारी के कारण लगे लाकडाउन के दौरान सारी दुनिया अपने-अपने घरों में ही कैद हो गई। इस दौरान बडी-बडी हस्तियां भी अपने छोटे मोटे कार्य भी स्वयं ही करती नजर आयी। -भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की पत्नी सविता कोविंद ने स्वयं सिलाई मशीन पर मास्क सिलकर मास्क की कमी दूर […]
अगर “अंतिम मैच” में रन नहीं बटोरे तो नैट-प्रेक्टिस अर्थहीन हो जाती है -डॉ. निर्मल जैन
“पापा! यहॉं की सुबह से शाम तक की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में बस घर से निकलते-निकलते भगवान को हाथ जोड़ कर औपचारिकता पूरी करने का ही समय मिल पाता है। पूजा-पाठ न कर पाने का एक अपराध-बोध बना रहता है। यह पीड़ा है अमेरिका की स्थायी निवासी मेरी पुत्री की। पाश्चात्य देशों में घरेलू सेवक […]
नीबू की एक बूंद दूध की मिठास को दही की खटास में परिवर्तित कर देती है। -डॉ. निर्मल जैन
एक संत विहार करते हुए रास्ते में एक बहुत ही आकर्षक रूप से सजी-धजी दुकान के सामने से गुजरे। दुकान में अनेक छोटे-बड़े डिब्बे उसमें रखे सामान के नाम की चिट सहित बड़े सलीके से लगे हुए थे। संत ने देखा अंत में रखे एक डिब्बे पर कोई चिट नहीं लगी थी। संत ने उस […]
युवाओं में मानसिक अवसाद की अधिकता का क्या कारण -डॉ. अरविन्द प्रेमचंद
वर्तमान में युवा वर्ग शिक्षित जरूर हुए पर व्यवहारिक जीवन से अनभिज्ञ होने से छोटी छोटी बातों से हताशा का सामना करने में असमर्थ होने से ऐसे कदम उठा लेते हैं जिसका कोई प्रतिफल नहीं मिलता और वे अपने जीवन की ईहलीला समाप्त कर लेते हैं। हर व्यक्ति की अनंत इच्छाएं होती हैं और उन […]
सच कहना न तो निंदा है और न ही उससे पाप या नर्क का बंध होता है -डॉ. निर्मल जैन
इन दिनों हम सभी बचाने में लगे हैं। कोई देश बचा रहा है, कोई पर्यावरण। कोई सांस्कृतिक मूल्यों को बचाने मे व्यस्त है तो धर्म परायण लोग धर्म को लेकर बड़ी चिंता में हैं। परोक्ष रूप में मानने लगे हैं कि धर्म अपनी राह से भटक गया है। धर्म को बचाया जाए। अगर ऐसी ही है हमारी सोच […]
जो पाप बांटते समय किसी की नहीं सुनता, “भोगते” समय भी कोई उस की नहीं सुनता -डॉ. निर्मल जैन
विंस्टन चर्चिल एक पागलखाने में व्यवस्था देखने गए। वहां एक पागल कागज पर कुछ लिख रहा था। चर्चिल ने उससे पूछा, ‘क्या लिख रहे हो?’ पागल थोड़ा गुस्से में बोला, ‘अंधे हो? देखते नहीं खत लिख रहा हूं।’ चर्चिल ने फिर पूछा, ‘किसे लिख रहे हो?’ उसने कहा,’अपने आप को लिख रहा हूं।’ ‘क्या लिख […]
Bloody June – Nitin Saxena
New Delhi: Indians failed to strongly pronounce their open declaration of patriotism but for the television channels that kept stoking the drawing room recipients to muster teeth-clenching provocation against China, the supposedly enemy of India for the last nearly 60 years, that had martyred 20 army personnel and a commanding officer, following a fist-battle on […]
Sushant Singh – victim of mockery
Ridiculing a few targeted film celebs by the established film makers reflects two major complexes in them. First is their upbringing and second is the lack of displaying emotional well-being for others. A derisive or a mocking remark made by a peer or a senior has often created distress and turbulence in the young minds […]
जीवन अलभ्य है, जीवन सौभाग्य है उससे पलायन क्यों ? -डॉ. निर्मल जैन
ऐश्वर्यशाली जीवन सुख सुविधाएं, करोड़ों रुपये की संपत्ति, अल्प काल में दौलत-शोहरत और सम्मान से भरपूर। फिर भी एक सफल एवं उदीयमान अभिनेता का जीवन से पलायन। आखिर क्यों? महावीर कह गए हैं –“जीवन कोई मोमबत्ती नहीं जिसे कामनाओं की पूर्ति की आग में जल जाना है। अपितु यह तो एक ऐसी एक ज्योति है जो स्वयं […]
मन का माना मर गया, मन को मारा तर गया – डॉ. निर्मल जैन
बचपन में हमारा मन स्कूल जाने को नहीं किया, करीब-करीब हम सभी लोग पहली बार रो-रो कर ही स्कूल गए। फिर भी मां-बाप ने हमें कठोरता से स्कूल भेजा। तब ऐसा करके क्या वह हमारा अहित चाहते थे। मां-बाप यह सख्ती इसलिए करते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि बच्चा जितना रो-रो कर स्कूल जाता है वहां […]
Kejriwal walking on a tight rope – Nitin Saxena
New Delhi: Delhi government has come under a tight spot after the reported insistence of people for a fresh strict shutdown as the COVID cases are coiling up and widening the curve pressing the panic-button in the national capital and the near total collapse of medical facilities in the government-run hospital compounding its problems. Why […]
What the hell Kejriwal? Nitin Saxena
New Delhi: There is a concerted effort to tarnish the image of Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal, blatantly or covertly, and the frontrunners are the combined media. If one goes by the content on broadcast channel or print medium, the story is the same. Operation Arvind Kejriwal, and rightly so. The media has exposed dereliction […]
हम दुख नहीं चाहते लेकिन दुखों को न्योता देने वाले काम खूब करते हैं – डॉ. निर्मल जैन
कपड़ों पर जरा सा भी दाग लग जाए हम उद्गिन हो जाते हैं। दाग पक्का न हो जाए इसलिए तुरंत ही वाशिंग मशीन में धो लेते हैं। गंदे झूँटे बर्तन भी एक दम डिशवाशर से साफ कर लेते हैं अगर गंदगी पड़ी रही तो कॉकरोच अथवा अन्य जीव पैदा हो जाने और दुर्गंध फैलने का […]
जो जोड़ने का सोपान है उसे लेकर इतनी तोड़-फोड़ क्यों ? -डॉ. निर्मल जैन
सूर्य के दर्शन के लिए दीपक जलाने की मूर्खता कोई नहीं करता। फूल की खुशबू का अनुभव करने के लिए हम कभी आंखो का उपयोग नहीं करते। परंतु जो सभी तर्कों के आधार है, हर समस्या का समाधान है उस परम आत्मा, दिव्य-शक्ति को समझने हेतु इतने तर्क-वितर्क का सहारा क्यों लेते हैं? उस का […]
अहिंसक राष्ट्र ने अहिंसक खाद्य पर प्रतिबंध लगाया (चीन ने भारत से सूअर के मांस आयात पर लगाया प्रतिबन्ध) डॉ. अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल
जैसा कहा गया हैं कि दो समान विचारधारा के जहाँ मिल जाएँ वहां एकांत हैं। हम कितनी भीदुहाई दे कि हम भारतीय हैं और संस्कृति का पालन करते हैं, पर हमारा आचरण बिलकुल विपरीत हैं। हमें हिंसक प्रधान देश कहना चाहिए और भारत को गारत कहकर राम, कृष्ण, महावीर, बुद्ध आदि के नाम पुकारना बंद […]
कारोना तू है तो भक्षक लेकिन हम तुझमें शिक्षक भी देख रहे हैं – डॉ. निर्मल जैन
आपदा चाहें प्राकृतिक हो या मानवीय भूल से हो, हमें अस्त-व्यस्त और दुखी तो बहुत करती है लेकिन उसके पीछे जो कारण होते है उनसे हमें सचेत भी कर जाती है। कोरोना वायरस की वजह से पूरा विश्व मुश्किल हालात का सामना कर रहा है, अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित है। कितने लोगों के रोज़गार छिन […]
ये तेरी बस ये मेरी बस, बेचारा पदयात्री मजदूर चारों ओर से बेबस -अशोक कुमार
पिछले दिनों उत्तरप्रदेश में बसों को लेकर जो राजनीति हुई,वह काफी दुखदायी और निराशाजनक बात रही। देश प्रदेश भर के लोग इससे दुखी हुए। हां भक्तों को कुछ राहत जरुर मिली होगी कि हमने कांग्रेस की ओर से भेजी गई बसों में नहीं जाने दिया। चले जाते तो कांग्रेस का गुनगाण करते। उनके नजरिये से […]
इतने कमजोर तो कभी न थे हम : चीन, पाकिस्तान के बाद अब तो नेपाल जैसा देश भी किसी फिल्मी गुंडे की तरह हमे आंखे दिखाकर डराने का प्रयास कर रहा है- नितिन सक्सेना
भले ही आज हमारी गिनती अग्रणी देशों में होती है, बावजूद इसके हम अपने पड़ौसियों को नहीं साध पाये फिर चाहे वह पाकिस्तान हो या चीन। अब तो उनकी देखादेखी कल का बच्चा नेपाल भी हमें आंखे दिखाने की हिमाकत कर रहा है। उसे भी अब अपने हिसाब से मानचित्र बनाने की सूझने लगी है। […]
बुद्ध ने अपने अंतिम उपदेश में शिष्यों से कहा था कि -अपना प्रकाश खुद बनो, अर्थात “आत्मनिर्भर बनो”। -डॉ. निर्मल जैन
शिष्य आनंद उनके इस उपदेश से अत्यंत दुखी हुआ। तब बुद्ध ने कहा -मेरे पीछे पीछे कब तक चलोगे? स्वयं चलने का प्रयत्न क्यों नहीं करते? महावीर, राम, कृष्ण और गुरुनानक सबने आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनने का संदेश दिया है। भारत को आजादी तो मिल गयी, लेकिन जब तक हम हमारी ज़रुरतो के लिए विदेशी […]
कोरोना —तेरे कितने रोना ! -डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल
भारत वर्ष कृषिप्रधान ,श्रमिक प्रधान ,भूख प्रधान ,झूठप्रधान इत्यादि कितने प्रधान के साथ आबादी प्रधान देश हैं।यहाँ जन्म लेने वाला महान होता हैं क्योकि स्वर्ग का दूसरा नाम कश्मीर हैं और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग हैं इसीलिए भारत स्वर्ग हैं और इसमें रहने वाले स्वर्गवासी हैं। ऐसा सुना जाता हैं की स्वर्ग में कोई […]
Top class in middle-class – the lady of the house: Nitin Saxena
New Delhi: Everybody is so busy in accentuating the war with COVID 19 that the champion in providing the essential services so far in the shutdown period has largely been missed. The lady of the house. No award, no appreciations, no honour, no recognition but she is silently doing the chores with a smile and […]
खोजो तो हर दुख में सुख और हर व्यक्ति में दुर्योधन ही नहीं अर्जुन भी छिपा है -डॉ. निर्मल जैन
मुँह में एक दॉंत टूट जाता है तो हमारी जीभ सतत वहीं जाती है। बाकी दॉंतों का अस्तित्व ही जैसे समाप्त हो जाता है। आखिर हमने अपनी ऐसी सोच क्योंकर बना रखी है कि जो खो गया, जो भी अप्रिय घटित हुआ है उसी का स्मरण करते रहते हैं। जो नहीं मिला उसी का ग़म […]
Negativity-bias spread faster than COVID19 : Nitin Saxena
New Delhi: When was the last time you switched your television news channel off on seeing a series of deaths or news of pandemic deaths. When was it when you left a horror film midway and never resumed seeing it ever? Fear gripped you and despite putting a stop-plug on your thoughts, the visuals kept […]
Side effects of COVID 19- Big gloom, little sunshine : Nitin Saxena
New Delhi: The major side effect of COVID-19 is likely to be the high unemployment that will subsequently propel a series of low graded crimes ranging from mugging, pickpocketing to kidnapping. It will be followed by cases of suicidal tendencies among the youth which the psychologists say ‘is an example of shattered dreams of high […]
Has the government failed partially to handle the COVID 19 crisis?
Writer- Nitin Saxena New Delhi: What a shame! The COVID 19 warriors except for the doctors have no body and face shields while on duty except for a face mask that is perhaps locally made. They are bare and exposed to the virus. The law enforcing agencies personnel, teachers and the pilots ferrying stranded people […]
Pandemic Analysis/ Sarkaar ne kya dikhaya, kya chupaya -Nitin Saxena
New Delhi: The COVID 19 has taught us a few lessons of opportunism and exploitation and exposed the media partisan. This is an open secret now that the journalists are fed with government-controlled information that is in these times a bit difficult to cross check. Apart from this, the data of positive cases, the recovery […]
प्रशंसक हैं अथवा किसी प्रयोजन हेतु जुड़े चापलूस – डॉ. निर्मल जैन
लॉकडाउन में शरीर के आवागमन की मर्यादा हो गयी है। जब शरीर मंद पड़ता है तो वाणी स्वच्छंद हो ही जाती है। पूरा विश्व कोरोना से जूझ रहा है। लेकिन ऐसी विषम स्थिति में भी राजनेतिक,सामाजिक, धार्मिक हर क्षेत्र में वाणी की उठक-पठक चरम पर है। वाणी का मूल्य क्या है और उसका अभाव कितना पीड़ादायक हो सकता है, यह […]
स्वप्न और खजाने क्या कभी पूरे भर पाते हैं?- डॉ. निर्मल जैन
एक दिन मैंने अद्भुत सपना देखा। सपने में मैं ऐसा भिखारी बना हूं जिसने अपनी सारी उम्र की कमाई एक-एक पैसा जोड़ कर एक स्वर्ण मुद्रा खरीदी। फिर उस मुद्रा को ले कर मैं एक सेठ की हवेली के पास जा पहुंचा। सेठ ने मुझे भिखारी के वेश में देख कर हवेली का द्वार बंद […]
क्या हम रात्रि-भोजन के त्यागी हैं? – डॉ. निर्मल जैन
(यह लेख रात्रि-भोजन का समर्थक नहीं है। अपितु जैनधर्म के अनुसार रात्रि-भोजन-त्याग को परिभाषित करता है।) अंग्रेजी की कहावत है – *Deads of Darkness are commited in the dark.* अर्थात् काले, अन्याय और अत्याचार के कार्य अंधकार में ही किये जाते है। हमारी आत्मा और शरीर दोनों का संबंध भोजन से है। शुद्ध और सात्विक भोज शुद्ध विचार उत्पन्न […]
झुमके तो 10 तोले के ही पहने जाएंगे भले ही कानों की लौ छी जाए- डॉ. निर्मल जैन
मत करो देश की चिंता। न फिक्र करो समाज की। मत मानो शासन-प्रशासन की। डॉक्टर्स की सलाह में भी आपको कोई अपना हित नहीं दिखाई देता। लेकिन अपना और अपने परिवार का ध्यान तो रखो। यह प्राणलेवा कोरोना वायरस खुद आपके या किसी के दरवाजे आकर नहीं कहेगा कि -मैं आ गया हूं। यह तभी आएगा जब इसे निमंत्रण […]
लॉक”DOWN” में मनोबल “UP” बनाए रखने की स्रोत -महिला-शक्ति के नाम: डॉ. निर्मल जैन
NOTE-(यह लेख केवल सच का उदघाटन करता है किसी पर आक्षेप नहीं।) लेखक : डॉ. निर्मल जैन लड़की शादी के दो दिन बाद ही ससुराल की मान-मर्यादा को आत्मसात कर उस घर को अपना घर बताना शुरु कर देती है। लेकिन शादी को कितने साल क्यों ना हो जायें दामाद कभी भी अपने ससुराल को अपना […]
नाम परिवर्तन से गुण-दोष नहीं बदलते- डॉ. निर्मल जैन
वह सब कुछ जो अच्छा नहीं है केवल इसलिए अच्छा नहीं बन जाता कि हम उसे पसंद करते हैं या हमारे मन को भाता है। विकार उत्पन्न करने वाले पेय और खाद्य-पदार्थ मात्र इसलिए स्वास्थ्य के लिए हितकर नहीं हो जाते कि वे हमें स्वादिष्ट लगते हैं। अच्छा होना अलग बात है और अच्छा लगना […]
लॉकडाउन से निकला सच-जीवन-यापन के खर्च तो कम, दिखावा ही खर्चीला होता है। – डॉ. निर्मल जैन
लेखक-डॉ. निर्मल जैन भविष्य की सुविधाओं को खरीदने के लिए हम अपना वर्तमान बेचने लगे। सूर्योदय से देर रात तक अधिकतर समय धन और सुविधाएं की तलाश में बिताते रहे। घर केवल रैन-बसेरा सा हो गया। जीवन-साथी को समय नहीं दे पाना अलगाव का सबसे बड़़ा कारण बन गया। परिवार संघर्ष, विवाद, अशान्ति, के चलते टूटने की कगार पर आ […]
सहज रूप में ज्यादा से ज्यादा सहज बनें
एक सूक्ति है महावीर और राम अगर सौ बार भी जन्म लेंगे तो उससे क्या होता है, जब तक वह हमारे भीतर पैदा नहीं होते। सरलता से होंगे भी नहीं क्योंकि हमने अपने मन के अंदर उन्हें जन्म देने या उन्हें प्रतिष्ठित करने लायक जगह छोड़ी ही नहीं है। वहां विषय-कषाय के कूड़ा-करकट के कारण पहले ही “ओवरलोडिंग” की समस्या […]
प्रेम ही मार्ग है, प्रेम ही हमारी मंजिल है – ममता जैन, एडवोकेट
लेखिका- एडवोकेट ममता जैन, संत कबीर कुछ सोच-विचार कर ही कह गए हैं –“ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय”। शायद उनका अनुभव रहा होगा कि केवल पुस्तकों को पढ़कर पंडित कहलाए जाने भर से यह जरूरी नहीं हो जाता कि जीवन के भी पंडित हो गए। पुस्तक पढ़े हुए पंडित कोरे तर्क-वितर्क वाद-विवाद और शास्त्रार्थ […]
“हम हैं तो मूलत: कृष्ण अगर भटक गए तो कंस”- डॉ. निर्मल जैन
लेखक-डॉ. निर्मल जैन हम में से हर कोई सब को व्यवस्थित देखना चाहते हैं। लेकिन स्वयं को व्यवस्थित करने के प्रति उदासीन रहते हैं। ऐसा इसलिए कि औरों को अनुशासन में रखना आसान होता है पर स्वयं को अनुशासित करना बहुत कठिन तो है ही बहुत बड़ी चुनौती भी है। स्व-अनुशासन! अनुशास्यते नैन।अर्थात स्वयं का […]