RELIGIOUS

प्रभु के पास पहुँचने के लिए पहले टिकिट होना ज़रूरी- आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा कि राग-द्वेष को समझाते हुए उदाहरण के माध्यम से आचार्य श्री ने पूछा कि वृक्ष पहले आया है या बीज? यह तो एक चक्र है। जिस प्रकार बीज को जला देने पर, उसका बीजत्व खत्म हो जाता है और वह वापस नही बोया जा सकता। उसी प्रकार हमे अपने भीतर के राग-द्वेष को छोड़ना है। कैसे छोड़ेंगे? वीतरागी प्रभु के सामने बैठना भी बहुत पुण्य से अवसर आता है। प्रभु के सामने बैठने से, उनकी छवि को देखने से भी राग द्वेष खत्म होते जाता है क्योंकि वे तो किसी को देखते नही, पूरी दुनिया को देखते है लेकिन उन्हें दुनिया से मतलब नही है, आपको दुनिया को नही छोड़ना है। दुनिया से मतलब छोड़ना है। हम राग द्वेष करते है तो बंध होता है और बंध होता है तो राग द्वेष होता है और पुनः बंध होता है। हमे इसी चक्र को खत्म करना है और अपने भीतर के राग-द्वेष को खत्म करना है लेकिन अगर इरादा नही करोगे तो खत्म नही होगा। जिस दिन खत्म हो जाएगा तो प्रभु के चारो तरफ़ जिस प्रकार समवशरण की रचना होती है दिखने लगेगी ओर प्रभु के दर्शन हो जाएंगे। प्रभु के पास पहुँचने का रास्ता तो पता है लेकिन उसके लिए भी हमे टिकट लेनी पढ़ेगी, टिकट मिल जाएगी तब हम प्रभु के पास पहुच जाएंगे

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