दिगम्बर जैन समाज के सबसे बड़े संत आचार्य श्री १०८ विद्या सागर जी महाराज ने शुक्रवार को परदेसीपुरा से जैन कालोनी तक का स्थान परिवर्तन किया और साथ ही महीनो बाद प्रवचन भी दिए।
यह जानकारी देते ब्रह्मचारी सुनिल भैया ने बताया की सुबह 6 बजे आचार्य श्री के सानिध्य में परदेसीपुरा स्थित श्री चिंतामणि पारसनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में महामस्तकाभिषेक हुआ। इसके बाद फिर यहा बनाए जाने वाले आचार्य विद्यासागर द्वार का शिलान्यास किया गया। जिसका सौभाग्य ब्र विमल भैया, ब्र केवल भैया, स्व. श्री ज्ञानचंद्र जी, संतोष जी जैन सराफ परिवार को प्राप्त हुआ। इसके पश्चात आचार्य श्री और संघ ने यहा से विहार कर दिया। फिर आचार्य श्री सुबह ८.५० बजे केसरबाग रोड स्थित जैन कालोनी पहुँचे। यहा पर समाज द्वारा सोशल डिस्टेनसिंग के साथ अगवानी की गयी। इसमें प्रमुख रूप से कैलाश लुहाडिया, विमल गंगवाल, गिरीश पाटोदी, मनोज टोंग्या, पवन गुनावाला, गिरीश काला सहित अन्य समाजजन ने की। इसके साथ ही श्रीफल भी भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
आचार्य श्री ने यहा पर प्रवचन दिए
आज आचार्यश्री ने क़ोरोना काल के समय भारत देश और सरकार की उपलब्धि पर प्रवचन दिए। आचार्यश्री ने कहा की सरकार की समझ के कारण हम विश्व में मिसाल बन गए है। भारतीय संस्कृति की सोच और दूरदर्शिता, संयम की आराधना से है क्योंकि यहाँ के सारे लोग संयम प्रेमी है। इसमें कोई संदेह नहीं है कहने से पूर्व ही सभी व्यवस्थित हो गए हैं। अन्य देशों में हाहाकार मच रहा था, उस समय भारत अपना काड़ा सभी जगह वितरित कर रहा था। भारत के पास ऐसा कौन सा जादू है? हम बताते हैं भारत के पास आहार शाकाहार और औषधी में भी शाकाहार यह एक उदाहरण है। एक प्रकार से निश्चय है, जिन-जिन की धारणाएं हैं आयुर्वेद के प्रति इससे ही होगा, आज दुनिया मानने लगी है। आयुर्वेद में कोई भी रोग हो, चिकित्सा हजार-हजार वर्ष पूर्व ही लिखित में उपलब्ध है। औषध और बीमारी दोनों के नाम उस में लिखे हुए है। औषधियों का निर्माण कई प्राचीन वर्ष पूर्व ही हो चुका है। ऐसा यह भारत देश है जहाँ शुद्ध आहार ही औषधि है। यहां के देशवासी आहार लेते हैं लेकिन वह इस प्रकार का आहार लेते हैं कि जो पूरा शुद्ध एवं सात्विक होता है। बुद्धि के विकास में वही सहायक होता है। इस प्रकार भारत देशवासी सभी देशों के लिए एक उदाहरण पेश कर रहे है। अमेरिका जैसे देश ने भी जड़ी-बूटियों से बनी औषधियां उपलब्ध कराने को कहा है। जैसा भारत को बंद किया था वह लोग अब कर रहे हैं और अनिवार्य मानकर कर रहे हैं लेकिन आप सभी अभी भी सतर्क रहेंगे। क्योंकि भूकंप आता है जब कई हेक्टर जगह तक उसका प्रभाव रहता है और कई दिनों तक बीच-बीच में हलचल होती रहती है। उसी प्रकार यह बीमारी भी है और इसी प्रकार भिन्न-भिन्न देशों में इसका प्रकोप है। किसी भी देश के वैज्ञानिक छाती ठोक कर नहीं कह पा रहे हैं कि इस बीमारी का इलाज यह है किंतु भारत यह कहता है कि इसका उपचार हमारे पास लिखित है व इसमें हमें कोई संदेह भी नहीं है क्योंकि जो ओषधि ले रहा है वह 6 से 7 दिन में ठीक हो रहे हैं। इसलिए जो भी सावधानियां है उसे हमेशा बरतनी होगी।