आज पूज्य आचार्य श्रीजी ससंघ आज सुबह परदेशीपुरा इंदौर से विहार करते हुए जब चिकमंगलुर चौराहे के पास पहुंचे थे। तभी वहां आगे चल रहे महाअष्टमी पर दुर्गा जी के जुलूस में भजन गा रहे बैंड समूह के संचालक ने अपनी गाड़ी साइड कर आचार्य श्री को आगे आने के लिए रास्ता दिया..!! और उनके आगमन को सौभाग्य समझकर तुरंत ही
यही नहीं दुर्गा जी के भजन को एकाएक विराम देते हुए, जैन भक्ति तुमसे लागी लगान, लेलो अपनी शरण, पारस प्यारा गाना चालू कर प्रणाम किया।
जो जलूस गुरु जी के पीछे हो गया था, और फिर उन्ही के पीछे पीछे चल रहे जुलूस जो रुक चुका था, वो आज अष्टमी के पावन पर्व पर सुबह सुबह अपने आपको धन्य मान रहे थे, सभी एक टक आचार्य भगवन को निहारते ही जा रहे थे। उनके विनय भावो को देखकर लग रहा था, सच में पूज्य आचार्य श्री ने सिर्फ जैन ही नही अपितु जन जन के संत है..!!
आज स्वयं देखा भी और महसूस भी किया..!! धन्य है हम, जो गुरूवर के युग में जन्मे