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सिर्फ बॉलीवुड ही नहीं भारत की कई आबादी भी ड्रग्स का शिकार हो रही है

जहाँ एक तरफ़ बॉलीवुड की रंगीन दुनिया के पीछे छुपे काले ड्रग्स का राज़ लोगो के सामने आया वही दूसरी तरफ लोग अपने मोहहले और गलियों में इस्तेमाल हो रही मारिजुआना से अंजान दिख रहे है ।। चाहे पटना के दियर (गंगा की बालुई भूमि ) का इलाका हो या बनारस का पवित्र घाट का, मुम्बई का जुहू हो या दिल्ली का कोई छात्रावास ,गाँजे या उसका अंग्रेजी नाम मारिजुआना का इस्तेमाल हर जगह चोरी छुपे धरले से हो रहा है ।

किसी आम पत्तो जैसी दिखने वाली यह ड्रग युवाओं को बड़ी आसानी से मिल जाती है, पुलिस प्रसाशन के नाक के निचे से लोग इसे जम कर बेच व ख़रीद रहे है ,3 ,4 घण्टे तक युवाओं को मदहोश रखने वाला यह ड्रग पार्टीज़ में शराब से ज्यादा पसंद किया जाता है ।

इस ड्रग को लीगल करने की माँग का मुद्दा हमेसा से ही जोरों पर है । ख़ास कर छोटे शहरों से महानगरों में पढ़ने आये बच्चे इस ड्रग के आदि हो जाते है , खुद को दूसरों के बराबर खड़ा रखने की चाह में बच्चे खुद को गिरोह से बचा नही पाते और ग़लत लोगो का शिकार हो जाते है।

भारत में इन नशीले ड्रग्स का दुरुपयोग पिछले कुछ दशकों में देश के बच्चों और युवाओं को प्रभावित करने वाली सबसे गंभीर समस्याओं में से एक बन गई है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली के नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर ने फरवरी 2019, की अपनी रिपोर्ट “सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा प्रायोजित” भारत में पदार्थ के उपयोग का परिमाण प्रस्तुत किया।

सर्वेक्षण के मुख्य निष्कर्ष थे:
i) राष्ट्रीय स्तर पर, 10 से 75 वर्ष के बीच के लगभग 14.6 प्रतिशत लोग (लगभग 16 करोड़ लोग) शराब के वर्तमान उपयोगकर्ता हैं।
 ii) पिछले 12 महीनों के भीतर लगभग 2.8 प्रतिशत भारतीयों (3.1 करोड़ लोगों) ने किसी भी भांग उत्पाद का उपयोग करने की सूचना दी है।
iii) सर्वेक्षण के समय लगभग 2.06 प्रतिशत लोगों ने ओपियोड का उपयोग करने की सूचना दी। लगभग 0.55 प्रतिशत भारतीयों को अपने ओपिओइड उपयोग की समस्याओं के लिए मदद की आवश्यकता है।
iv) राष्ट्रीय स्तर पर, यह अनुमान लगाया गया है कि लगभग 8.5 लाख लोग ड्रग्स (PWID) का इंजेक्शन लगाते हैं। रिपोर्ट द्वारा अनुमानित कुल मामलों में से आधे से अधिक असम, दिल्ली, हरियाणा, मणिपुर, मिजोरम, सिक्किम और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों द्वारा योगदान दिया जाता है, जिनमें नशीली दवाओं के दुरुपयोग और विकारों की अधिकता है। नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी को मापने के लिए किए गए कई सर्वेक्षणों में पंजाब लगातार शीर्ष या शीर्ष पांच में है।
और यह आंकड़े बढ़ते ही जा रहे है, कई मामले ऐसे है जहा ड्रग्स न मिलने पर खून भी किया गया है।  इतना ही नहीं कई चोरी और लूटपाट के मामलो में भी ऐसे लोग शामिल है। कई लोगो ने इसे अपना व्यापार बना लिया है।
ऐसे बढ़ते मामलो को नज़रअंदाज़ न करते हुए कड़ी से कड़ी तहकीकात करनी चाहिए क्युकी सिर्फ बॉलीवुड ही नहीं भारत की कई आबादी भी ड्रग्स का शिकार हो रही है।

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