CRIME विचार

इंसान के रूप में भेड़िया: कैसे बचेंगी बेटियां

यूँ तो कई वजह बताते है की बलात्कार क्यों होते हैं?
कभी कपड़ों पर तो कभी वक़्त पर आरोप लगते हैं।  यह बात समझ के परे है की वह छोटी 8 साल की आसिफा ने क्या पहना था, या वह ३ महीने की बच्ची जिसने डायपर पहना था ?
कसूर किसका है यह जवाब किसी के पास मौजूद नहीं और इंसाफ के जगह मिलता है इंतज़ार। एक तरफ निर्भया कांड ने पूरे देश को झकझोड़ कर रख दिया था, वहीँ एक वेटेरन के जले शव ने चींख चींख कर अपनी दास्तान बताई थी। उन्हें इन्साफ तो मिल गया लेकिन यह सिलसिला अब भी कायम है और न जाने कबतक रहेगा।
एनसीआरबी की रिपोर्ट 
भारत में 2018 के दौरान धारा 376 के तहत  33,356 मामले दर्ज हुए।1,56,327 से भी ज़्यादा बलात्कार  के मुकदमे चल रहे थे। जिनमे से केवल 17,313 मामलों में सुनवाई हुई है, और केवल 4,708 वादों में आरोपियों को सजा दी गयी। और 11,133 मामलों में आरोपी कार्यवाही पूरी होने के बाद बरी हो गए। इतना हीं नहीं  1,472 मामलों में आरोपी  शुरुआती दौर में ही आरोपमुक्त हो गए।
इनसब से अबतक यही समझ आया है की बलात्कार के मामले में सजा की दर केवल 27.2 फीसदी है। २०१२ में जो जनता की और से सैलाब उठा था, शायद कम था क्यूंकि न तो ये दुष्कर्म थमा और न ही मिली इस बलात्कार जैसे वायरस से मुक्ति।
 बलात्कार के कुछ ऐसे डरावने मामले जो लोग भूल चुके हैं :
अरुणा शानबाग 
Everything happened in a fit of rage, says the man who 'attacked' Aruna Shanbaug - india - Hindustan Times
पेशे से एक नर्स 25 वर्षीय अरुणा शानबाग जिस अस्पताल में काम करती थी, वहां एक सफाईकर्मी द्वारा उन्हें सोदामाइज़ किया गया ।  यह घटना 27 नवंबर 1973 की है। हमलावर, सोहनलाल भारती वाल्मीकि ने जंजीरों से गला घोंट कर उसे मारने की कोशिश की थी। उसकी कोशिश तो बेकार रही लेकिन अरुणा 42 साल तक के लिए कोमा में लेती रही।  एक ज़िंदा लाश के रूप में उसने अपनी ज़िन्दगी बितायी, और फिर 18 मई 2015 को उसने आखिरी सांस ली।
एक ऐसे मामले में क्या सजा मिलनी चाइये थी ? 
लेकिन मिली तो सिर्फ सात साल की सजा और न ही किसीने बलात्कार की पुष्टि की और अस्पताल वालों ने भी इस मामले को दबा दिया।

थंगजम मनोरमा 

On Mother's Day The Quint revisits the mothers of Manipur who protested against AFSPA.
यह दुर्घटना 2008 की है जहाँ मणिपुर में, 32 वर्षीय मनोरमा को असम राइफल्स के सैनिकों ने घर से निकाल दिया था, जिसने उन पर विद्रोहियों की मदद करने का आरोप लगाया था। कुछ घंटों बाद, सड़क के किनारे उसका विकृत शरीर मिला, उसकी श्रोणि में दर्जनों गोलियां लगीं थीं। साफ़ साफ़ पता चल रहा था की उसके साथ क्या हुआ है, कितने आवाज़ दबाये गए।
Remembering Thangjam Manorama | #IndianWomenInHistory
महिलाओं ने बिना कपड़ो के मार्च निकला था, लेकिन हुआ क्या ? कुछ नहीं।
इन्साफ के नाम पर मिला दस लाख का कंपनसेशन और न आरोपी मिले न ही सुनी गयी किसी की आवाज़। जब रक्षक ही भक्षक बन जाए तो इन्साफ की उम्मीद करें भी किससे ?
अमनदीप कौर 

India's Forgotten Rapes - The tragic story of Amandeep Kaur

80 और 90 के दशक में पंजाब में सिख महिलाओं के खिलाफ अत्याचार भी नियमित थे। नवंबर 1984 में, उसके बाद के दशक में सैकड़ों सिख महिलाओं के क्रूर बलात्कार और हत्या के अलावा, पंजाब पुलिस और भारतीय सुरक्षा बलों ने पूछताछ उपकरण के रूप में नियमित रूप से बलात्कार का इस्तेमाल किया था। पंजाब के अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ने अपने प्रकाशन “द रेप ऑफ़ पंजाब” में इस तरह के दुरुपयोग के कई उदाहरणों का दस्तावेजीकरण किया है।

उनमे से एक है अमनदीप कौर की कहानी जो शायद ही कोई जानता हो, अमनदीप कौर एक संदिग्ध उग्रवादी हरपिंदर सिंह की बहन थी। वह केवल 20 वर्ष की थी, जब उसे पंजाब पुलिस ने यातना दी, बलात्कार किया और फिर मार डाला।

12 अक्टूबर, 1991 को अमनदीप को उसके पति और पिता के साथ, पुलिस वालो ने गिरफ्तार किया क्युकी उन्हें अमनदीप के छोटे भाई हरपिंदर कौर पर उग्रवादी होने  शक था।  पुलिस वालो ने अमनदीप को 12 दिनों तक जेल में रखा उसका बलात्कार किया उसे हर रूप से सताया।इतना ही नहीं एस एस पि के कहने पर उसकी बहन और माँ के साथ भी यही किया गया था उनका घर उनके सामान सबकछ बर्बाद और लूट कलिये गए थे।

किसी ने कुछ मदद नहीं की और न ही इंसाफ दिला पाए।  अमनदीप को उसके पति ने भी छोड़ दिया था इस घटना के बाद और अमनदीप 21 जनवरी 1992 तक छुपी रही थी।
पुलिस ने फिर एक संदेश भेजा, जिसमें उससे  अपने घर लौटने के लिए कहा, और उनकी सारी संपत्ति वापस कर दी और जोर देकर कहा कि वे किसी और को परेशान नहीं करेंगे। संदेश भेजने से एक दिन पहले उन्होंने उसके पिता को भी जमानत दे दी। जसवंत सिंह को पुलिस पर भरोसा नहीं था इसलिए वह घर नहीं लौटा। अमनदीप कौर अपने घर लौट आईं, इस विश्वास के साथ कि उन्हें टुकड़ों को इकट्ठा करने और अपने सामान्य जीवन को फिर से शुरू करने की अनुमति होगी। जब उसकी मां बाहर थी, तो नकाबपोश चेहरे वाले दो बंदूकधारी एसएसपी बठिंडा, कहलोन की ओर से आए और 21 जनवरी को शाम 7:30 बजे अमनदीप कौर की गोली मारकर हत्या कर दी।
इस घटना में न तो इन्साफ मिला और न ही कोई कारवाही की गयी, अफ़सोस की बात है की जुर्म करने वाला जीता रहा और सहने वाले को छुप कर रहना पड़ा।
सोनी सोरी
Soni Sori alleges 'rape and fake encounter' of Adivasi woman — denied entry to village – Adivasi Resurgence Rape cases we forgot: Soni Sori, a prisoner of conscience
अक्टूबर 2011 से पुलिस हिरासत में, जब उसे माओवादियों के लिए कूरियर होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उसने सुप्रीम कोर्ट में आरोप लगाया कि हिरासत में रहते हुए, उसके साथ बलात्कार किया गया और उसकी योनि के अंदर पत्थर मारे गए। लेकिन इसकी कोई कारवाही नहीं की गयी।
सोनम 
Lakhimpur Kheri murder: Notice issued to Uttar Pradesh govt
2011 में 14 साल की सोनम के साथ पुलिस स्टेशन में बलात्कार किया गया था।

मई 2009 में, भारतीय प्रशासित कश्मीर में शोपियां शहर में  पर पुलिस द्वारा पर दो युवतियों के साथ बलात्कार और हत्या के बाद 47 दिनों तक हिंसक विरोध प्रदर्शन और हमले हुए थे ।

ऐसे कई मामले हैं  न तो सुने गए न ही कोई आवाज़ उठी, 2002 के गुजरात दंगो में मुस्लिम महिलाओं के साथ बदले के नाम पर बलात्कार किया गया।
ऐसे कई मामले दब गए या दबा दिए गए , न दर्ज हुए न हीं कोई सुनवाई हुई। और अभी यह पढ़ते वक़्त भी कही न कही यह कही हो रहा होगा।

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