सर्वोच्च जैन तीर्थ श्री सम्मेद शिखर जी की पवित्रता, अस्तित्व और सुरक्षा के विषय में कई सवाल, समस्याएं और उनके क्या समाधान अब भी बाकी हैं । सरकारी और प्रशासनिक आदेश और कार्यवाही, क्या कई मायनों में अभी भी आधी, अधूरी है और अल्पसंख्यक जैन समाज में क्यों इस मुद्दे पर चिंता और असंतोष व्याप्त है।
17 जनवरी, 2023 को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के सम्मुख जैन समाज ने सम्मेद शिखर के मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए, अपनी मांगें और अपना पक्ष रखा । इस अवसर पर केंद्रीय पर्यटन सचिव और झारखंड सरकार के प्रमुख सचिव मौजूद रहे । जैन समाज की प्रमुख मांग तीर्थराज की पवित्रता, अस्तित्व और सुरक्षा के लिए सम्मेद शिखर जी समेत पारसनाथ पर्वत क्षेत्र को पर्यटन और इको सेंसिटिव जोन से बाहर करने और इसे पवित्र जैन तीर्थ क्षेत्र घोषित करने की है । फिलहाल राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग में आपत्तियां दर्ज कराने के लिए एक सप्ताह का समय मिला है, और अगली सुनवाई की तारीख 14 फरवरी, 2023 तय है ।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की द्वारा इस सुनवाई के पूर्व जैन समाज के लगातार, सामूहिक प्रयासों से, एक अभूतपूर्व, देशव्यापी, अहिंसक, सम्मेद शिखर बचाओ आंदोलन के पश्चात राज्य सरकार और केंद्रीय वन मंत्रालय ने कार्यालय ज्ञापन और अधिसूचनाएं जारी करके सम्मेद शिखरजी पर्वत क्षेत्र को जैन धर्म का विश्व का सबसे पवित्र और पूज्यनीय स्थान मानते हुए, जैन समुदाय के साथ साथ समूचे देश के लिए इसकी पवित्रता का महत्व भी स्वीकार किया और इस हेतु कुछ प्रशासनिक निर्देश भी जारी किए गए। किंतु यह कार्यवाही पर्याप्त और संतोषजनक नहीं है ।
दिनांक 2 अगस्त 2019 की अधिसूचना क्र. 2795 (ई) नोटिफिकेशन के क्षेत्र के स्वरूप परिवर्तन करने वाले और इको सेंसिटिव जोन के अंतर्गत पर्यावरण पर्यटन व अन्य गैर धार्मिक गतिविधियों की अनुमति देने वाले विभिन्न हिस्सों को वन मंत्रालय द्वारा दिनांक 5 जनवरी, 2022 को स्थगित तो कर दिया गया है, लेकिन अब उसे पूर्ण रूप से निरस्त करने के आदेश दिया जाना अति आवश्यक है । भारत सरकार से यह अपेक्षा है कि श्री सम्मेद शिखर जी पर्वत क्षेत्र (पारसनाथ पर्वत) की पवित्रता, अस्तित्व और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता, जो समय समय पर जारी सरकार और मंत्रालय के कार्यालय ज्ञापनों और अधिसूचनाओं में हैं, उन्हें भारत सरकार के राजपत्र में अधिसूचना जारी करके, इसे पवित्र जैन तीर्थ घोषित करते हुए धार्मिक गतिविधियां और वातावरण की सुरक्षा यथावत रखने की अपनी प्रतिबद्धता को स्थायित्व प्रदान करना चाहिए। जिससे अल्पसंख्यक जैन धर्मावलंबियों का सर्वोच्च तीर्थ और धार्मिक आस्था जैन समुदाय, सारे देश और सरकार की भावनाओं के अनुरूप ही संवेधानिक रूप से सदैव सुरक्षित और अक्षुण्य रहे।
प्रशासन और सरकार की इस विषय में अस्पष्ट, अधूरी और धीमी कार्यवाही के चलते कुछ असामाजिक तत्व सक्रिय हो गए हैं और इस मुद्दे को राजनैतिक और सांप्रदायिक रंग देकर, अल्पसंख्यक जैन समुदाय के खिलाफ लोगों को अनर्गल बातों, दुर्व्यवहार और सोशल मीडिया के दुरुपयोग के सहारे बहकाने और भड़काने के काम में जुट गए हैं, और अराजकता फैला रहे हैं। ऐसी स्थिति में केंद्र और राज्य सरकार की सतर्कता, पवित्र जैन तीर्थ की घोषणा संबंधी अधिसूचना की कार्यवाही एवं अन्य शासकीय, प्रशासकीय कार्यवाही शीघ्रातिशीघ्र हों, ऐसा सभी संस्थाएँ प्रयासरत रहें, सो प्रार्थना है।
लेखक : श्री आदीश जैन दादा पूर्व निर्देशक, कॉर्पोरेशन बैंक (9811884592)