मध्य प्रदेश स्थित खुरई नगर के प्राचीन दिगंबर जैन मंदिर में धर्म सभा को संबोधित करते हुए पूज्य मुनि श्री प्रशस्त सागर महाराज ने अपने उद्बोधन में कहा की धन संपत्ति वैभव से आत्मिक सुख शांति नहीं प्राप्त हो सकती।साथ ही उन्होंने व्यक्ति को प्रतिस्पर्धा से दूर रहने को कहा व्यक्ति की चाहत पर कभी विराम नहीं लगाया जा सकता जो मुश्किल के साथ नामुमकिन है। जो प्राप्त है वही पर्याप्त है। भारत देश विकासशील देश है। साथ ही हम प्रथम विकसित राष्ट् बनने की और खड़े हैं।
उन्होंने मार्मिक शब्दों में वह धाराप्रवाह शब्दों के साथ इस बात पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहा कि क्या हम विकसित राष्ट्र बनने के बाद भी सुख शांति प्रदान कर पाएंगे, इसका जवाब है कभी नहीं। धन वैभव संपत्ति से कभी सुख शांति प्राप्त नहीं होती और ना ही कर सकते हैं। जो भी संसार में रहने वाला प्राणी अगर प्रतिस्पर्धा में घुस गया तो मरण के समय तक भी दौड़ता रहता है।
इसी अंधी दौड़ से ही हमें बचने का सतत प्रयास करना होगा। अगर अंत भला होगा तो सब कुछ भला होगा। यदि व्यक्ति धर्म के मार्ग पर चल निकला तो लोक और परलोक दोनों सुधर जाएंगे।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी