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राष्ट्रीय एकता दिवस और हिन्दी – हरीश जैन

राष्ट्रीय एकता के सूत्रधार सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्तूबर, 1985 को गुजरात के नाडियाड में हुआ था। इनका वास्तविक नाम वल्लभ भाई झावेरभाई पटेल था। लेकिन उन्हें प्यार से ‘सरदार’ की उपाधि दी गई जिसका अर्थ होता हैं ‘प्रमुख’। सरदार पटेल ने कोई औपचारिक शिक्षा ग्रहण नहीं की थी लेकिन उन्होंने लंदन से बैरिस्टर की पढ़ाई की। सरदार पटेल पेशे से वकालत करते थे। लेकिन उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई। इनके प्रेरणास्रोत महात्मा गांधी थे।

आजादी के बाद देश के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती पाँच सौ से भी अधिक रियासतों को एकसूत्र में पिरोकर भारत संघ में शामिल करना था। इसके लिए देशी रियासतों को भारत संघ में शामिल होने के लिए राज़ी करना, उन्हें भारत में शामिल होने के लाभ बताना आदि शामिल था। यह कठिन एवं दुष्कर कार्य सरदार पटेल को सौंपा गया। सरदार पटेल ने अपनी सूझ-बूझ तथा प्रशासनिक कौशल से सभी रियासतों को भारत संघ में शामिल कराने का भागीरथ प्रयास किया। वह अपने प्रयास में सफल रहे और भारत का एकीकरण किया, इसलिए उन्हें ‘लौह पुरूष’ की उपाधि भी दी गई। सरदार पटेल के जन्मदिन को भारत सरकार राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाती है।

सरदार पटेल की इस भूमिका के कारण उन्हें स्वतंत्र भारत के पहले गृह मंत्री तथा उप-प्रधानमंत्री की भूमिका भी सौंपी गई। सरदार पटेल ने स्वतंत्रता संग्राम से लेकर देशी रियासतों का एकीकरण तथा संविधान निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सरदार पटेल ने अपनी बुद्धिमत्ता, लोकतांत्रिक दृष्टि, तर्कशक्ति, वाक्पटुता तथा निडरता के गुणों से संविधान निर्माण की प्रक्रिया को पूर्ण करवाया।

संविधान सभा में हिन्दी भाषा के पक्ष में सरदार पटेल की भूमिका

सरदार पटेल ने संविधान निर्माण की प्रक्रिया में हिन्दी भाषा के पक्ष में पुरजोर तरीके से अपना पक्ष रखा। हिन्दी को राजभाषा का दर्जा दिलाने में सरदार पटेल की अहम भूमिका रही है क्योंकि जब राजर्षि टंडन ने राष्ट्रभाषा के रूप में हिन्दी के पक्ष में संविधान सभी के समक्ष अपना प्रस्ताव रखा तो सरदार पटेल ने उनके प्रस्ताव का पुरजोर तरीके से समर्थन किया। भारतीय संविधान में हिन्दी के विषय पर कई प्रकार की राजनीति तथा संशय की स्थिति बनी हुई थी। इस को राजभाषा या राष्ट्रभाषा का दर्जा देने को लेकर संविधान सभा में काफी वाद-विवाद भी हुआ।

काफी लंबे वाद-विवाद के बाद दो प्रमुख निर्णय लिए गए, पहला यह कि मिली-जुली हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार किया जाएगा और दूसरा निर्णय यह लिया गया कि हिन्दी के अंकों के स्थान पर अरबी के अंको को मान्यता दी जाएगी। सरदार पटेल ने संविधान सभा में इन दोनों बातों को सिरे से खारिज करते हुए अपना पुरजोर मत यह रखा कि ‘हिन्दी भारत की राजभाषा या राष्ट्रभाषा हिन्दी ही होगी और होनी चाहिए और हिन्दी अंकों के स्थान पर अरबी अंको का प्रयोग करते हुए मिली-जुली हिन्दी को मान्यता देने का प्रश्न ही नहीं उठता।’ सरदार पटेल के दृढ़ता से यह पक्ष रखने के बाद संविधान सभा में हिन्दी को लेकर सहमति बन गई।   

दरअसल, सरदार पटेल राष्ट्रभाषा के रूप में हिन्दी के सदैव पक्षधर रहे हैं। क्योंकि किसी भी देश में राष्ट्रीय एकता स्थापित करने के लिए किसी एक भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा देना अनिवार्य हो जाता है। भारत जैसे बहुभाषी देश में तो राष्ट्रभाषा का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। उन्होंने कांग्रेस के विभिन्न पदों पर रहते हुए हिन्दी में कामकाज को बढ़ावा दिया। और कांग्रेस के सभी प्रस्तावों का हिन्दी अनुवाद भी कराया।

सरदार पटेल ने कहा था-

प्रसारण में हिन्दी को महत्व

सरदार पटेल सूचना एवं प्रसारण मंत्री भी रहे थे। स्वतंत्र भारत में देश के समक्ष प्रसारण की भाषा संबंधी भी चुनौती थी। इस बात पर बहस चलती थी कि रेडिया तथा प्रसारण की भाषा क्या तथा कैसी होनी चाहिए ? लेकिन सरदार पटेल इस बात को लेकर स्पष्ट थे कि देशभर में अलग-अलग स्थानों से प्रसारण पर उसी क्षेत्र के आधार पर भाषा होनी चाहिए। लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी भाषा में प्रसारण होना चाहिए। हिन्दी भाषा ऐसी हो जो सरल हो और आम जनता को समझ आ सके। क्लिष्ट हिन्दी का प्रयोग न हो। ऐसी हिन्दी का प्रयोग हो जिसमें तकनीकी शब्दों को अर्थ समझाया जाए। प्रसारण क्षेत्र में हिन्दी के लिए पटेल द्वारा की गई कुछ प्रमुख पहलों का संक्षिप्त ब्यौरा है-

  • पटेल हिन्दी भाषा की अस्मिता को बचाए रखने के लिए प्रसारण में हिन्दी का उपयोग बढ़ाने पर बल दिया।
  • सूचना प्रसारण मंत्री रहते रेडियो प्रसारण में मूल रूप से हिन्दी में कार्यक्रमों के निर्माण का आदेश दिया।
  • हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए हिन्दीत्तर भाषी केन्द्रों से भी हिन्दी के कुछ समाचार बुलेटिनों का प्रसारण आरंभ करवाया।
  • हिन्दीत्तर भाषी केन्द्रों से हिन्दी शिक्षण पाठों का प्रसारण आरंभ करवाया।
  • उत्तर भारत के केन्द्रों से प्रसारित किए जाने वाले हिन्दी कार्यक्रमों की भाषा की गुणवत्ता की जाँच भी कराई, जिससे कि हिन्दी का मानक स्तर बना रहे।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल एक कुशल राजनीतिज्ञ तथा प्रशासक होने के साथ-साथ सफल मंत्री तथा हिन्दी भाषा के प्रबल पक्षधर रहे हैं। तो आइए राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर हम सभी मिलकर हिन्दी भाषा के माध्यम से देश को एकता के सूत्र में पिरोकर सरदार वल्लभ भाई पटेल के सपने को साकार करें।

लेखक – श्री हरीश जैन जी भारतीय संसद में अनुवादक हैं

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