सोमवार को लोकसभा में केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने बताया, कि सरकार के पास प्रवासी मजदूरों की मौत का कोई आंकड़ा नहीं है, ऐसे में मुआवजा देने का ‘सवाल नहीं उठता है।’ आपको बता दे कि सरकार से पूछा गया था कि कोरोनावायरस लॉकडाउन में अपने परिवारों तक पहुंचने की कोशिश में जान गंवाने वाले प्रवासी मजदूरों के परिवारों को क्या मुआवजा दिया गया है? तो सरकार के जवाब पर विपक्ष की ओर से खूब आलोचना और हंगामा हुआ। श्रम मंत्रालय मानना है की लॉकडाउन के दौरान 1 करोड़ से ज्यादा प्रवासी मजदूर देशभर के कोनों से अपने गृह राज्य पहुंचे हैं।
इन सवालो के बाद, केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने अपने लिखित जवाब द्वारा बताया कि ‘ऐसा कोई आंकड़ा मेंटेन नहीं किया गया है। और ऐसे में इसपर कोई सवाल नहीं उठता है.’
मार्च में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देशभर में लॉकडाउन लगने का ऐलान किये जाने के बाद लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर बेघर और बिना रोजगार वाली स्थिति में आ गए थे,और बहुतों को उनके घर से निकाल दिया गया, जिसके बाद वह अपने गांव की ओर निकल पड़े थे। जिन्हे जैसी सुविधा मिली वैसा उन्होंने जरिया चुना, तो कुछ पैदल ही निकल पड़े थे। यह मजदूर कई दिनों तक भूखे-प्यासे पैदल चलते रहे और कइयों ने घर पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया था, तो कई बड़ी गाड़ियों द्वारा कुचले गए थे।
काफी विरोध और विपक्ष की आलोचनाओं के बाद केंद्र ने राज्यों से बॉर्डर सील करने को कहा और उसके बाद मजदूरों के लिए श्रमिक ट्रेनें चलाई गईं थी। हालांकि, श्रमिक ट्रेनों को लेकर इतनी अव्यवस्था थी कि मजदूरों की पैदल यात्रा या रोड के जरिए यात्रा जारी रही थी। और जितने भी मज़दूरों की जान गयी उनका कोई भी आंकड़ा अबतक सामने नहीं आया है।