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मरने वाले प्रवासी मजदूरों का नहीं है आंकड़ा, सरकार कैसे देगी मुआवज़ा

सोमवार को लोकसभा में केंद्रीय श्रम मंत्रालय  ने बताया, कि सरकार के पास प्रवासी मजदूरों की मौत का कोई आंकड़ा नहीं है, ऐसे में मुआवजा देने का ‘सवाल नहीं उठता है।’ आपको बता दे कि सरकार से पूछा गया था कि कोरोनावायरस लॉकडाउन में अपने परिवारों तक पहुंचने की कोशिश में जान गंवाने वाले प्रवासी मजदूरों के परिवारों को क्या मुआवजा दिया गया है? तो सरकार के जवाब पर विपक्ष की ओर से खूब आलोचना और हंगामा हुआ।  श्रम मंत्रालय मानना  है की लॉकडाउन के दौरान 1 करोड़ से ज्यादा प्रवासी मजदूर देशभर के कोनों से अपने गृह राज्य पहुंचे हैं।

कोरोना महामारी के बीच हो रहे पहले संसदीय सत्र में मंत्रालय से पूछा गया था कि क्या सरकार के पास अपने गृहराज्यों में लौटने वाले प्रवासी मजदूरों का कोई आंकड़ा है? और विपक्ष ने सवाल में यह भी पूछा था कि क्या सरकार को इस बात की जानकारी है कि इस दौरान कई मजदूरों की जान चली गई थई और क्या उनके बारे में सरकार के पास कोई डिटेल है? और क्या ऐसे परिवारों को आर्थिक सहायता या मुआवजा दिया गया है?

इन सवालो के बाद, केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने अपने लिखित जवाब द्वारा बताया कि ‘ऐसा कोई आंकड़ा मेंटेन नहीं किया गया है। और ऐसे में इसपर कोई सवाल नहीं उठता है.’

कांग्रेस नेता दिग्विजिय सिंह ने इस बात पर कहा कि ‘यह हैरानजनक है कि श्रम मंत्रालय कह रहा है कि उसके पास प्रवासी मजदूरों की मौत पर कोई डेटा नहीं है, ऐसे में मुआवजे का कोई सवाल नहीं उठता है।  कभी-कभी मुझे लगता है कि या तो हम सब अंधे हैं या फिर सरकार को लगता है कि वो सबका फायदा उठा सकती है। ‘

मार्च में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देशभर में लॉकडाउन लगने का ऐलान किये जाने के बाद लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर बेघर और बिना रोजगार वाली स्थिति में आ गए थे,और बहुतों को उनके घर से निकाल दिया गया, जिसके बाद वह अपने गांव की ओर निकल पड़े थे। जिन्हे जैसी सुविधा मिली वैसा उन्होंने जरिया चुना, तो कुछ पैदल ही निकल पड़े थे। यह मजदूर कई दिनों तक भूखे-प्यासे पैदल चलते रहे और  कइयों ने घर पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया था, तो कई बड़ी गाड़ियों द्वारा कुचले गए थे।
लॉकडाउन के दौरान कितने प्रवासी मजदूरों की हुई मौत? सरकार ने कहा- हमारे पास  कोई डाटा नहीं! | Union Government said in parliament that there is no data  that how many migrant
काफी विरोध और विपक्ष की आलोचनाओं के बाद केंद्र ने राज्यों से बॉर्डर सील करने को कहा और उसके बाद मजदूरों के लिए श्रमिक ट्रेनें चलाई गईं थी।  हालांकि, श्रमिक ट्रेनों को लेकर इतनी अव्यवस्था थी कि मजदूरों की पैदल यात्रा या रोड के जरिए यात्रा जारी रही थी। और जितने भी मज़दूरों की जान गयी उनका कोई भी आंकड़ा अबतक सामने नहीं आया है।

Moon, roti and a massacre

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