कानपुर। धर्म नगरी कानपुर की पावन धरा पर वीराजमान प.पू. राष्ट्र संत गणाचार्य श्री 108 विराग सागर जी गुरुदेव की सुशिष्या पू. श्रमणी आर्यिका 105 विशिष्ट श्री माता जी ने प्रभु पार्श्वनाथ निर्वाण महोत्सव के शुभ अवसर पर अपार जनसैलाब की मंगल उपस्थिति में अपनी देशना में कहा की आज बड़े ही हर्ष व आनंद का दिन है, क्योकि आज के ही दिन प्रभु पार्श्वनाथ का निर्वाण हुआ था। आज हम देखते हैं कि सबसे अधिक मंदिर, मूर्तियाँ व स्तोत्र चमत्कारिक क्षेत्र प्रभु पार्श्व के ही देखे जाते हैं।
इसका मूल कारण है कि उन्होंने अपने जीवन में बहुत उपसर्ग-परिग्रहों को सहन किया है| शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि 10 भव तक कष्ट तकलीफ को सहन किया। ध्यान रखना, शत्रु को कभी क्रोध से नीं अपितु क्षमाभाव से जीता जाता है। समता व सहनशीलता के साथ सारे कष्टों को सहने का परिणाम उनका जीवन काँटो के बीच फूलों सा खिला था।
आगे पूज्य माताजी ने कहा कि यदि कंस न होता तो श्रीकृष्ण को कोई नहीं समझ पाता, रावण न होता तो राम को, कमठ मोता तो प्रभु पाश्व को कोई नहीं जान पाता। प्रभू पाश्वनाथ की क्षमा ने उन्हें जगत विख्यात कर जन-जन का आराध्य बना दिया।
यही भावना, भायें कि प्रभु पाश्वनाथ जैसी सरलता, सहनशीलता हमारे अंदर भी आये -विशिष्ट श्री माता जी
आज मोक्ष सप्तमी के दिन प्रभु पार्श्वनाथ ने सम्मेद शिखर जी के स्वर्णभद्र कूट से मोक्ष प्राप्त किया था। हम यही भावना, भायें कि प्रभु पाश्वनाथ जैसी सरलता, सहनशीलता हमारे अंदर भी आये और हम भी उनके पदचिन्हों पर चलकर अपना कल्याण करें। पूज्य माता जी आगे कहाती है कि लड्डू कोई प्रदर्शन नहीं है, अपितू संकेत हैं हम भी भगवान जैसी समता को धारण करें और लड्डू जैसी मिठास हमारे जीवन में भी आये तथा हम अपने घर-परिवार के सदस्यों में भी घोलें। हम नीम जैसी कड़वाहट नहीं लड्डू जैसी मिठास को प्राप्त करें।
तभी हम भगवान के सच्चे भक्त कहलाएगे। इसी अवसर पर पार्श्वनाथ निर्वाण महोत्सव प्रतियोगिता तथा लाडू सजाओ प्रतियोगिता भी रखी गई साथ ही 23किलो का लड्डू व अन्य 23 लाडू भक्तो द्वारा धूमधाम से चढ़ाये गए।
आगामी कार्यक्रम – 11/08/22 को 100 मुनिराजों की महार्चना शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर, आनादपुरी, कानपुर मे बड़ी धूमधाम से मनाई जाएगी। आप को बता दें की मजा जी (ससंघ) का चातुर्मास श्री दिगंबर जैन मंदिर, आनादपुरी, कानपुर, उत्तर प्रदेश हो रहा है।