जब से कोरोना वाइरस प्रकोप भारत में आया और लॉक डाउन लागू किया तब से सामान्य के साथ साथ हृदय रोग ,पाचन जन्य रोग कि अत्यंत कमी आयी। हां मानसिक रोग ,घरेलु हिंसा जन्य अपराधों की जरूर वृद्धि हुई। कोरोना के कारण अधिकतम लोगों के द्वारा घर में रहना ,होटल और बाजार का खाना पीना न होने से अनेकों परेशानियों से बचाया गया। घर का जो कुछ भी सामान्य खाना खाने से बहुत से संक्रमित रोगों से बचाव हुआ। जिसका परिणाम बहुत से हॉस्पिटल या नर्सिंग होम खाली रहे।
पाचन जन्य रोगों के फाइव ऍफ़ का बड़ा योगदान रहता हैं –
- फ़्लाइस (मख्खी)
- फिंगर(उंगुलियों या नाखूनों में मैल)
- फ्लयूड (तरल द्रव्य)
- फ़ूड(संक्रमित भोजन या अन्न)
- फॅसेस(मल)
मख्खियों के द्वारा हाथ की सफाई का न होना ,जल या अन्य पेय जल का संक्रमित होना ,आहार की सामग्री में स्वच्छता का अभाव और मल के द्वारा हमारा भोजन संक्रमित होता हैं। पर खासतौर पर बरसात में इनसे रोग फ़ैलाने की संभावना बहुत होती हैं। दूसरे बरसात में सूर्य की किरणे न होने से हमारा पाचन संस्थान भी कमजोर होता हैं। इसलिए वर्षा के मौसम में विशेष सावधानियां रखना परम आवश्यक हैं।
मौसम बदलते ही कई लोग बीमार पड़ने लगते हैं। ऐसा, मौसम में गर्माहट से ठंडक या ठंडक से गर्माहट होने पर होता है।
मानसून जितना सुहाना होता है, उससे कही ज्यादा खतरनाक भी हो सकता है। इस मौसम में कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं।इस मौसम में बैक्टीरिया बढ़ जाते हैं और धूप कम निकलने के कारण तमाम बैक्टीरिया व वायरस पैदा हो जाते हैं।
बैक्टीरिया व वायरस के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संपर्क में आने पर इंसान बीमार पड़ सकता है या उसे कुछ समस्याएं हो सकती जैसे, सर्दी ,खांसी ,फूड पॉइजिनिंग ,दस्त, बुखार,पीलिया ,टाइफाइड आदि।
इन सभी बीमारियों / समस्याओं का सबसे बड़ा स्थान भोजन होता है। यदि बरसात के मौसम में खराब भोजन का सेवन करते हैं तो ऐसी समस्याएं होना आम है।
साथ ही आहार स्वच्छता का भी ध्यान रखना होगा। इससे सेवन किया जाने वाला खाना पूरी तरह साफ होगा और आप इन बीमारियों के सबसे बड़े जनक को खत्म कर सकते हैं।
10 में से 1 व्यक्ति की बीमारी का कारण असुरक्षित भोजन :
आहार स्वास्थ्य ,भोजन सुरक्षा का उपवर्ग है। भोजन की सफाई का सभी को ध्यान रखना चाहिए। आहार की सफाई की कमी से अन्न जनक रोग या मृत्यु तक हो सकती है।
हर साल असुरक्षित भोजन के सेवन से 10 में से 1 व्यक्ति बीमार हो जाता है। जबकि फूड सेफ्टी और हाइजीन एक जिम्मेदारी है। इससे कई बीमारियों से बचाव में मदद मिल सकती है।
1. उपयोग से पहले अच्छी तरह धोएं
बारिश से खेतों में पानी भर जाता है। इतना ही नहीं कई बार नदी-नाले का दूषित पानी भी खेतों तक पहुंच जाता है।
दूषित पानी के कारण वैक्टीरिया और वायरस सब्जी व उसकी जड़ों तक आसानी से पहुंच जाते हैं।सब्जियों में मौजूद साल्मोनेला , ई. कोली लिस्टेरिया और अन्य तरह के बैक्टीरिया जानलेवा साबित हो सकते हैं। इसके अलावा कुछ भी खाने से पहले हाथों को अच्छी तरह धो लें।
इसलिए उपयोग करने से पहले सब्जी , फल , दाल आदि को अच्छी तरह धो लेना चाहिए।
2. कच्चे और पके फूड अलग-अलग रखें
कच्चे फूड में हानिकारक बैक्टीरिया होते हैं, जो कि अच्छे खाने को भी दूषित कर सकते हैं। इसलिए पके भोजन के साथ कच्चे खाने को न रखें।ऐसा करने से हानिकारक बैक्टीरिया कच्चे भोजन से पके भोजन में जाने का डर रहता है। जब आप उनका सेवन करेंगे तो आपको गंभीर समस्या भी हो सकती है।आपने देखा होगा कुछ लोग पकी हुई सब्जी और कच्ची सब्जी को फ्रिज में साथ रख देते हैं, यह गलत है। कच्ची सब्जी को अलग कंटेनर या पैकेट में रखें। वहीं पकी हुई सब्जी को किसी डिब्बे में पैक करके रखें।
3. अच्छी तरह पकाएं
कई भोजन अच्छी तरह नहीं पकाने पर नुकसानदेह हो सकते हैं।
4. भोजन को सही तापक्रम पर रखें
हर भोजन की गर्म या ठंडी तासीर होती है। हमेशा भोजन को उसकी तासीर के हिसाब से ही स्टोर करना चाहिए। ठंडा-गर्म होने पर यदि कोई उसका सेवन करेगा तो शारीरिक समस्या हो सकते हैं।जैसे, अंजीर की तासीर गर्म होती है। यदि कोई अंजीर या उससे बनी पकवान को फ्रिज में रख दे और उसका सेवन करे तो यह सेहत को नुकसान पहुंचा सकती है। हो सकता है आपको तुरंत ये नुकसान न पता चलें, कुछ समय बाद इसकी जानकारी हो।इसलिए हमेशा भोजन को उनकी तासीर के मुताबिक ही तापक्रम पर रखें।
5. साफ पानी और कच्ची सामग्री का उपयोग करें
बारिश में सबसे अधिक समस्या गंदे पानी की होती है। इसलिए कोशिश करके साफ पानी का ही सेवन करें। जरूरत पड़ने पर आप पानी को उबाल भी सकते हैं।पानी को उबालकर पीने से उसके बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं। गरम पानी पीना स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है।इसके अलावा हमेशा कच्ची सामग्री को घर में लाकर ही पकाएं और उसका सेवन करें। बारिश के मौसम में बाहर से पका खाना लाना नुकसानदेह हो सकता है।
बचाव ही इलाज़ हैं ,इसका अहसास सबने किया
कम खाओ गम खाओं,न हाकम के पास जाओ, न हाकिम के पास ,
घर में रहें ,घर का रुखा सूखा खाया तब भी स्वस्थ्य
बाजार गए ,पैसा देकर खाया और अनेक बीमारियां लाये
बोलो क्या फायदा ,
इससे यह सीख मिलती हैं हम जान बुझाकर पैसा देकर बीमारियां खरीदते हैं
उसके बाद हाकिम। डॉक्टर। वैद्य के पास जाओं ,वहां भी पैसा लगाओं
इसके बाद भी अब कोई प्रश्न बचा बचाव के लिए
और सुनो
क्या हम घर भी होटल से अच्छा व्यंजन घर में नहीं बना सकते
जो सुन्दर सस्ता सफाई वाला होगा ,रोक मुक्त रखेगा !