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पर्यावरण की सुरक्षा के लिए हर व्यक्ति पांच पेड़ लगाये- मुनीश्री सुधासागरजी

पेड़ काटे हैं लगया क्या है विचार करें

विजोलिया: वनस्पतियों का जीवन भर उपयोग करते हैं मै तुम्हें रोक तो नहीं सकता लेकिन इस वनस्पति को वचाने की कोशिश कर सकते हैं पर्यावरण की सुरक्षा के लिए कम से कम पांच पेड़ लगाये मरने के पहले एक पेड़ जिंदा छोड़ना सभी को अनिवार्य है उक्त आशय के उद्गार तपोदय तीर्थ विजोलिया में मुनि पुगंव श्री सुधासागरजी महाराज ने व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि पंच वटी तैयार करो तुम्हारी जिदंगी में हरयाली चाहिए तो पांच पेड़ लगाकर मरना छोटे छोटे पोधे नहीं वड़े वृक्ष लगाये लो मैं तुम्हें सस्य श्यामला भूमि देता हूँ सारी भूमि हरयाली से भर जायेगी कोई सोच ही नहीं रहा। आपने प्लाट में मकान वनाने के लिए पेड़ काट दिया तो धरती माता से प्रार्थना करना हे माँ मैने अपने घर के निर्माण के लिए एक पेड़ काट दिया मै अव पाँच पेड़ लगाऊ ये सकल्प करता हूँ तव तुम्हें प्रकृति मां वरदान दे देगी।

पहले ही धरती माँ से वरदान लेलो उसके नहीं तो वाद में नरको में जाना पड़ोगे तव मैं कुछ भी नहीं पाऊगा। इसलिए समझ ले कि किसी व्यक्ति ने हमें वदृ दुआ दे देदी तो वो लाख आस्वसन देवै वह अभिसाष वापिस नहीं ले सकता। वैष्णव दर्शन में आया दसरथ जी ने वरदान दे दिया लेकिन वह दिया हुआ वर दान चाहकर भी वापिस नहीं ले सके। इसलिए मैं वनस्पति के समंवध में कह रहा हूँ कि जो जो जव भी तुम किसी पत्ते को तोड़ो तव तुम संकल्प कर लेना कि मैं एक पत्ते के वदले दस पत्ते लाकर दूगा।

प्रकृति को साहूकर वना लो

उन्होंने कहा कि प्रकृति को विश्वास दिलाओ कि हम साहूकार की तरह व्याज सहित आपको लोटाऊगा। जिसको इस दुनिया में सुखी रहना है वो प्रकृति को साहूकार वनाये इसी प्रकार हम प्रकृति से स्वच्छ जल चाहते हैं लेकिन हम नदियों को गंदा कर रहे हैं जल कितना पवित्र था यहाँ तक कि मैने आपकी पूजा में पड़ा कि मुनि का मन गंगा की तरह निर्मल जल की तरह मुनि को यमुना गंगा की तरह कहा है आज हमने नदियों का इतना गंदा कर दिया कि उसमे कोई नहाना नहीं चहता। गंगा जैसी पवित्र नहीं को हमने क्या दिया मुरदा दिया मरे आदमी की हड्डीयो से गंदा किया

नदियों की पवित्रता को हमें फिर से वनाना है

मुनि श्री ने कहा कि किसी नाली का पानी नदी में नहीं जायेगा नदी को पहले पूज्य मानते थे आज नदी में स्नान तो करना चाहते हैं लेकिन उसकी पवित्रता की ओर ध्यान नहीं दे रहे हर गाँव शहर के व्यक्ति को विचार करना है कि हमारी गंदगी नदी तालाब में नहीं जायेगी हमे नदियों की पवित्र फिर से वनाना है । पानी कहता है कि मैने तुम्हारे जीवन के लिए जल दिया तुने मुझे क्या दिया मल मूत्र दिया इस जल की अवधारणा मिटाओ उससे कहो कि मैने तेरे लिए भगवान के सिर पर धारा कर दी चौरासी लाख योनीयो मैं ही ऐसा हूँ कि जिसे मुनि राज भी अपने सिर पर धारण करते हैं।

हवाओं को स्वछ रखने के लिए प्रयास करें

उन्होंने कहा कि इसी प्रकार इन हवाओं से क्या चाहते हो हमने उन्हें क्या दिया कितना प्रदूषण था एक कोरोना ने आपकी गति रोक दी हमे हवाओं को शुद्ध वनाना चाहिए। इसी प्रकार अग्नि को क्या दिया अग्नि से एक दीप जलाकर भगवान के समाने रख देना अग्नि कभी दीप नहीं वन सकती वड़वानल जंगल में अपने आप लग जाती हैं वही अग्नि सज्जन पुरुष के पास आ जाये तो अग्नि का दीप वन जायेगा अंधकार था जहाँ लोगों को रास्ता नहीं दिख रहा था वह मैने दीप जला दिया जो लाखो लोगों को राह दिखा रही है या तो जल का उपयोग वंद करो या जल को भगवान का स्पर्श कराकर गंधोदक वानाओ इसी प्रकार अग्नि को मंगल वनाना है आप अग्नि का उपयोग करते हो तो दीप वनाकर भगवान के चरणों में रख दो और उसको मंगल वनाकर उसके अभिषाप से मुक्त हो सकते है अव आया सृष्टि इस धरती से मुझे क्या मिला प्रथ्वी कुछ ना कुछ देही रही है हरयली नहीं दे रही तो पटिया तो दे रही है सेड स्टोन तो दे रहीं हैं।