निर्यापक श्रमण (नव-आचार्य ) मुनि श्री 108 समयसागर जी महाराज
● पूर्व का नाम : बा.ब्र. श्री शांतिनाथ जी जैन (अष्टगे) (सुकमाल)
● पिता का नाम : श्री मलप्पाजी जैन (अष्टगे) (समाधिस्थ मुनि श्री मल्लिसागरजी महाराज)
● माता का नाम : श्रीमती श्रीमंतिजी जैन (अष्टगे) (समाधिस्थ आर्यिका श्री समयमति माताजी)
● भाई-बहिन के नाम (जन्म के क्रम से) :
1) श्री महावीरजी (वर्तमान में मुनिश्री उत्कृष्टसागर जी)
2) बा.ब्र. विद्याधरजी (समाधिस्थ आचार्य श्री विद्यासागर जी)
3) ब्र. बहिन शांताजी
4) ब्र. बहिन सुवर्णा जी
5) बा.ब्र. अनंतनाथ जी (वर्तमान में निर्यापक मुनिश्री योगसागर जी)
6) आपका क्रम
● जन्म दिनांक/तिथि :
27-10-1958, सोमवार (शरद पूर्णिमा)
● दिन/स्थान/समय :
आश्विन शुक्ल पूर्णिमा, 2015, सदलगा, जिला बेलगांव (कर्नाटक)
● शिक्षा (लौकिक/धार्मिक): हाई स्कूल (मराठी से)
● ब्रह्मचर्य व्रत दिनांक/दिन/तिथि/स्थान :
02-05-1975, शुक्रवार, वैशाख कृष्ण सप्तमी वि.सं.2032, श्री दिग. जैन अतिशय क्षेत्र महावीरजी, जिला करौली (राज.)
● क्षुल्लक दीक्षा दिनांक/दिन/तिथि/स्थान :
18-12-1975, गुरुवार, मार्गशीर्ष शुक्ल पूर्णिमा वि.सं. 2032, श्री दिगम्बर सिद्ध क्षेत्र सोनागिर, जिला दतिया, (मध्यप्रदेश)
● एलक दीक्षा दिनांक/दिन/तिथि/स्थान :
31-10-1978, मंगलवार, कार्तिक कृष्ण, अमावस्या, दीपावली, वि.सं. 2035, श्री दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र नैनागिरि, जिला छतरपुर (म.प्र.)
● मुनि दीक्षा दिनांक/दिन/तिथि/स्थान :
08-03-1980, शनिवार, चैत्र कृष्ण 6, वि.सं. 2036, श्री दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र द्रोणगिरी जी, जिला छतरपुर (म.प्र.)
● निर्यापक पद प्राप्ति तिथि :
28-11-2018, बुधवार, मार्गशीर्ष कृष्ण षष्ठी वी.नि.
सं. 2545 वि.सं. 2075 गौशाला ललितपुर (उ.प्र.)
आचार्य पद घोषणा:-
8 फरवरी 2024, गुरुवार, माघ कृष्ण तेरस – चतुर्दशी,
श्री दिगंबर जैन तीर्थ क्षेत्र चंद्रगिरि, राजनांदगांव, (छत्तीसगढ़)
● ब्रह्मचर्य व्रत, क्षुल्लक दीक्षा, एलक दीक्षा, मुनि दीक्षा, निर्यापक पद प्रदाता आचार्य पद घोषणाकर्ता:-
महासमाधि धारक प. पू .आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज
विशेष :
समाधिस्थ प. पू. आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज, प . पू .आचार्य श्री समयसागर जी महाराज,प. पू . निर्यापक मुनि श्री योगसागर जी महाराज, प. पू . मुनि श्री उत्कृष्टसागर जी महाराज आप चारों गृहस्थ जीवन के सगे भाई हैं एवं आप चारों के गृहस्थ जीवन के माता-पिता भी आचार्य श्री धर्मसागरजी से दीक्षित हुए थे। आपके सानिध्य में अनेक पंचकल्याणक, महाविधान, मंदिर शिलान्यास, वेदी प्रतिष्ठा आदि प्रभावक कार्य संपन्न हुये है।