RELIGIOUS

धर्म क्षेत्र मे बोया गया बीज कभी असफल नही हो सकता मुनी श्री समता सागर जी

विदिशा: धर्म क्षेत्र में बोया गया बीज कभी असफल नहीं होता वह युवा अवस्था से वृद्धावस्था तक संस्कारों को बनाऐ रखता है। उपरोक्त उदगार मुनी श्री समता सागर जी महाराज ने युवाओं को “जैन तत्व वोध” की १६ दिवसीय व्याख्यान माला के अन्तर्गत प्रथम दिवस स्टेशन जैन मंदिर में व्यक्त किये उन्होंने 15 वर्ष से 45 वर्ष के सभी युवाओं को सम्वोधित करते हुये कहा कि यदि व्यक्ति चलना शुरू करे तो 1000 कि. मी और उससे भी ज्यादा यात्रा पैदल कर सकता है, लेकिन यदि कोई चलना ही न चाहे तो वह एक कि. मीटर भी नहीं चल सकता।

उन्होंने कहा कि छोटे छोटे पैर गांव गांव और पांव पांव चलकर हजारों कि. मी. को भी छोटा बना देते है। उन्होने संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज का उदाहरण देते हुये कहा कि सन् 1968 में दीक्षा ली और उसके वाद इन 52 वर्षों में वह कितना चल चुके है इसका तो कोई भी अंदाजा ही नहीं लगा सकता। “व्यक्ति भले ही साधनों से छोटा हो, लेकिन उसके मन के मजवूत इरादे उससे बड़े बड़े काम करा लेते है” पहाड़ की ऊंचाइया शरीर के बल से नहीं चढ़ी जाती बल्कि उच्च मनोवल से चढ़ी जाती है।

मुनि श्री ने कहा वर्तमान समय में युवाओं को जैन धर्म की प्रारंभिक जानकारी देने की बहुत ही आवश्यकता है, उसी को ध्यान में रखते हुये “जैन तत्व वोध” की 16 दिवसीय व्याख्यान माला का शुभारंभ किया गया है,
उन्होंने युवाओं को सम्बोधित करते हुये कहा कि लांक डाऊन के कारण भले ही आपकी नौकरियां छूट गयी हों लेकिन निराश होंने की कोई आवश्यकता नहीं है,आपके पास दो हाथ और दो पैर प्रकृति से मिले है, अपना आत्म विश्वास कायम रखते हुये जो भी कार्य आपको मिलता है उससे अपने कार्य का शुभारंभ करो। उन्होंने कहा कि “कुछ पाने के लिये कुछ खोना पढ़ता है, बिना कुछ खोऐ यदि आपको मिल जाए तो उसका महत्व महसूस नहीं होता, गुरु से आप कुछ पाना चाहते है, तो आपको अपना समय तो देना ही होगा।

इस चातुर्मास में यदि आप अपने समय का सदुपयोग करना सीख गये, तो निश्चित मानना आप उमंग से भरे होंगे, और समय के इस सार को समझकर अपने जीवन को भी समयसार बना सकते है।

इस अवसर पर ऐलक श्री निश्चय सागर जी महाराज ने कुंद कुंद का कुंदन का स्वाध्याय कराते हूये कहा कि जिसके जीवन में गुरु नहीं होता उसका जीवन शुरू नहीं होता। गुरु आपके जीवन में संस्कारों का वीजारोपण करने आते हें,आप लोगों की मात्र यह स्मृति में है कि 20 वर्ष पूर्व हम यहा पर आए थे। लेकिन जो आज के युवा है, वह उस समय बहुत ही छोटे थे उनके वही संस्कार आज काम आ रहे है।

उन्होने शिक्षा देते हुये कहा कि गुरु बनाने से पहले आप गुरू को खूब परख लेना लेकिन एक वार गुरु बनाने के पश्चात उनकी कभी परीक्षा मत लेना। अपने गुरु के प्रति कृतज्ञता का भाव हमेशा बनाये रखना।
उपरोक्त जानकारी मुनिसंघ के प्रवक्ता अविनाश जैन ने प्रदान की
संकलन अभिषेक जैन लुहाडीया रामगंजमंडी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *