प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 3 अक्टूबर को हिमाचल प्रदेश के रोहतांग में लेह-मनाली राजमार्ग पर अटल सुरंग का उद्घाटन करने की संभावना है। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने सोमवार को कहा प्रधानमंत्री के अस्थायी कार्यक्रम के अनुसार, वह सुरंग के उद्घाटन के लिए 3 अक्टूबर को मनाली आएंगे और लाहौल भी जाएंगे। ठाकुर ने मीडिया से अनौपचारिक बातचीत के दौरान एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, कि यह अभी तय नहीं है कि क्या प्रधानमंत्री उस दिन लाहौल में एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करेंगे।
आपको बता दें की यह टनल जो की 10 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है और दुनिया की सबसे लंबी टनल है, पूरे तरह से तैयार है। यह सुरंग पिछले दस साल से बनाया जा रहा था। यह पूरी तरह से लद्दाख से जुड़ा रहेगान और इस सुरंग द्वारा मनाली से लेह के बीच लगभग 46 किलोमीटर की दुरी घट चुकी है। पूर्व प्रधानमंत्री व भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेयी के नाम पर इस टनल का नाम अटल रोहतांग टनल रखा गया है।
इस 10,171 फीट की ऊंचाई पर बने सुरंग को रोहतांग पास से जोड़कर बनाया गया है। इतना ही नहीं यह दुनिया में सबसे ऊंची और सबसे लंबी रोड टनल है। यह सुरंग लगभग 8.8 किलोमीटर लंबी है, और 10 मीटर चौ़ड़ी है। अब मनाली से लेह आप मात्र 10 मिनट में पहुँच सकते हैं।
यह टनल सिर्फ मनाली को लेह से नहीं जोड़ेगी बल्कि हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पिति में भी यातायात को आसान कर देगी. यह कुल्लू जिले के मनाली से लाहौ़ल-स्पिति जिले को भी जोड़ेगी.
बताया जा रहा है की इस सुरंग के बनने से सबसे ज़्यादा फायदा लद्दाख में तैनात भारतीय फौजियों को मिलेगा, क्यूंकि इस सुरंग के ज़रिये सर्दियों में भी हथियार और रसद की आपूर्ति आसानी से हो सकेगी। अब फौजियों तक सामान की सप्लाई सिर्फ सिर्फ जोजिला पास से ही नहीं बल्कि इस मार्ग से भी होगी।
इस सुरंग के अंदर वाहन अधिकतम 80 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चल सकेगा। 28 जून 2010 को हुई थी इसे बनाने की शुरूआत। इसे बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन द्वारा बनाया गया है।
आपको बता दे की इसे बनाने में बॉर्डर रोड आर्गेनाईजेशन के कर्मचारियों और इंजिनीयरों को काफी मुश्किलें झेलनी पड़ी, क्योंकि सर्दियों में यह बेहद मुश्किल हो जाता था, क्योंकि तापमान माइनस 30 डिग्री तक चला जाता था। इसे बनाने के दौरान 8 लाख क्यूबिक मीटर पत्थर और मिट्टी निकाली गई थी। गर्मियों में यहां पर पांच मीटर प्रति दिन खुदाई होती थी, वहीं सर्दियों में यह घटकर आधा मीटर हो जाती थी।
इस सुरंग के अंदर अत्याधुनिक ऑस्ट्रेलियन टनलिंग मेथड का उपयोग किया गया है, वेंटिलेशन सिस्टम भी ऑस्ट्रेलियाई तकनीक पर आधारित है। ख़बरों के मुताबिक इसके अंदर एक बार में 3000 कारें या 1500 ट्रक निकल सकती है। और इसे बनाने में लगभग 4 हजार करोड़ रुपए की लागत आई है।
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