दिल्ली के सरकारी एवं निजी अस्पतालों में गरीबों का इलाज और टेस्टिंग मुफ्त में होनी चाहिए- अशोक गोयल
दिल्ली के निजी अस्पतालों द्वारा कोरोना के इलाज के नाम पर मरीजों से 2.5 लाख से 15 लाख रुपए जमा करवाए जा रहे हैं- अशोक गोयल
कोरोना संकट के समय कोई भी गरीब या मध्यम वर्गीय परिवार इलाज के लिए लाखों का इंतजाम कैसे करेगा-अशोक गोयल
अगर दिल्ली में भी आयुष्मान योजना लागू होती तो इस संकट के समय गरीबों पर इलाज के लिए कोई आर्थिक बोझ नहीं बढ़ता- अशोक गोयल
नई दिल्ली, 25 मई। दिल्ली के निजी अस्पतालों द्वारा कोरोना के इलाज के नाम पर 2.5 लाख से 15 लाख रुपए जमा करवाए जा रहे हैं और कोरोना पीड़ितों से निजी अस्पतालों द्वारा इलाज के नाम पर लूट को लेकर दिल्ली भाजपा मीडिया प्रमुख व प्रवक्ता श्री अशोक गोयल देवराहा ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल के सांठगांठ से ही निजी अस्पताल इलाज के नाम पर लोगों से लाखों लूट रहे हैं। कोरोना संकट के समय कोई भी गरीब या मध्यम वर्गीय परिवार इलाज के लिए लाखों का इंतजाम कैसे करेगा।
गोयल ने कहा कि कोरोना से लड़ने के लिए दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने जो व्यवस्था की है वह दिल्ली सरकार के अमानवीय व्यवहार व संवेदनहीनता का परिचायक है। एक तरफ मुख्यमंत्री कहते हैं सरकारी अस्पतालों में 2351 बेड खाली है और दूसरी तरफ सरकारी अस्पतालों में भर्ती होने के लिए मरीजों को दर-दर भटकना पड़ रहा है, मजबूरी में मरीजों को निजी अस्पतालों में जाना पड़ रहा है और निजी अस्पताल वाले ऐसे संकट के समय कोरोना से संक्रमित मरीजों को लूट रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में टेस्टिंग 5-6 दिन के बाद हो रही है जिसके कारण प्राइवेट लैब में टेस्टिंग करानी पड़ रही जिसके लिए 4500 रुपए चार्ज कर रहे हैं।
गोयल ने कहा कि मुख्यमंत्री जी को शर्म आनी चाहिए उन्होंने दिल्ली में आयुष्मान योजना नहीं लागू होने दिया और गरीब परिवारों को इस योजना के लाभ से वंचित रखा। अगर दिल्ली में भी आयुष्मान योजना लागू होती तो इस संकट के समय गरीबों पर इलाज के लिए कोई आर्थिक बोझ नहीं बढ़ता। कोरोना से इलाज के लिए मरीजों के लिए बेड की संख्या को लेकर जिस तरह से केजरीवाल लगातार झूठ बोल रहे हैं उससे यह साफ जाहिर है कि दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने सुरक्षा और इलाज की बेहतर व्यवस्था के नाम पर दिल्ली के लोगों के साथ छल किया है। मुख्यमंत्री होने के नाते केजरीवाल को स्वयं यह कदम उठाना चाहिए कि वह ऐसी व्यवस्था करें जहां गरीबों का इलाज और टेस्टिंग मुफ्त में हो सके।