हज़ारों लोगों की कीमती ज़िंदगियां बचाने के लिए अंगदान के बारे में जागरुकता बढ़ाने के उद्देश्य से 13 अगस्त को दुनिया भर में ‘विश्व अंगदान दिवस’ मनाया जाता है। अंगदान ज़रूरतमंद लोगों को जीवन का उपहार देकर एक बार फिर से ज़िंदगी जीने का मौका देता है। भारत में 4.5 लाख पंजीकृत अंगदान दाताओं के साथ बढ़ती संख्या से स्पष्ट कि लोगों में अंगदान के बारे में जागरुकता बढ़ रही है, वे अपनी इच्छा से ज़रूरतमंद लोगों का जीवन बचाने में योगदान देना चाहते हैं।
भारत में ट्रांसप्लान्ट्स की संख्या में 27 फीसदी की उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है (केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा Natto – नेशनल ऑर्गन एण्ड टिश्यू ट्रांसप्लान्ट ऑर्गनाइज़ेशन- की वैज्ञानिक वार्ता 2023), जो अंगदान और इसकी जीवन बचाने की क्षमता के बारे में बढ़ती जागरुकता की पुष्टि करती है।
इस अवसर पर डॉ मनोज लूथरा, सीईओ एवं डायरेक्टर, जेपी हॉस्पिटल ने कहा, ‘‘मरीज़ों के जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए अंगदान को बढ़ावा देना बहुत ज़रूरी है। जेपी हॉस्पिटल ने सार्वजनिक वार्ताओं, जागरुकता सत्रों के माध्यम से एवं सहानुभूति को बढ़ावा देकर अंगदान के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए सक्रिय प्रयास किए हैं। अब तक 350 सफल लिवर ट्रांसप्लानट और 890 किडनी ट्रांसप्लान्ट्स के साथ जेपी हॉस्पिटल कीमती ज़िंदगियां बचाने के प्रयासों को जारी रखे हुए है।
ट्रांसप्लान्ट के बारे में बात करते हुए डॉ के आर वासुदेवन, डायरेक्टर, डिपार्टमेन्ट ऑफ लिवर ट्रांसप्लान्ट, जेपी हॉस्पिटल ने कहा, ‘‘लिवर ट्रांसप्लान्ट के लिए किया गया अंगदान, फिर चाहे वह जीवित या मृतक व्यक्ति द्वारा किया जाए, उन मरीज़ों को उम्मीद की नई किरण देता है, जो अंतिम अवस्था के लिवर रोगों से जूझ रहे हैं। इस तरह के ट्रांसप्लान्ट उन्हें नया जीवन प्रदान करते हैं। पूरी प्रक्रिया पर निगरानी रखते हुएु सुरक्षा और कम्पेटिबिलिटी को सुनिश्चित किया जाता है। लिवर में रीजनरेशन की क्षमता होती है, अंगदान सेे मिले अंग को ट्रांसप्लान्ट किए जाने के बाद यह अपने आप ही बढ़कर सामान्य आकार का हो जाता है। इस तरह लिवर ट्रांसप्लान्ट ज़रूरतमंद मरीज़ की ज़िंदगी बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।’’

National Organ and Tissue Transplant Organization (NOTTO) द्वारा हाल ही में जारी आंकड़ों के मुताबिक भारत में अंग प्रत्यारोपण की मांग बहुत अधिक बढ़ गई है, वर्तमान में 50,000 लोग ट्रांसप्लान्ट के लिए उचित अंग मिलने का इंतज़ार कर रहे हैं। अच्छी बात यह है कि देश में 2022 के दौरान तकरीबन 15000 अंग ट्रांसप्लान्ट किए गए, ये आंकड़े ज़िंदगी बचाने के लिए अंग दान के महत्व पर बढ़ती जागरुकता की ओर इशारा करते हैं।
किडनी ट्रांसप्लान्ट के बारे में बात करते हुए डॉ अमित के देवड़ा, डायरेक्टर, को-ऑर्डिनेटर, किडनी ट्रांसप्लान्ट प्रोग्राम, डिपार्टमेन्ट ऑफ यूरोलोजी एण्ड किडनी ट्रांसप्लान्ट, जेपी हॉस्पिटल ने कहा, ‘‘किडनी ट्रांसप्लान्ट एक जीवन बचाने वाली प्रक्रिया है। ऐसे मामलों में किडनी का दान जीवित या मृत व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है। जीवित डोनर के मामले में परिवार के सदस्य या विस्तारित परिवार के सदस्य स्वेच्छा से अपनी एक किडनी दान में दे सकते हैं। मृतक द्वारा अंगदान के मामले में अगर किसी व्यक्ति को ब्रेन डैड घोषित किया जाता है, तो निर्धारित मानकों को पूरा करने के बाद उनके अंग प्रत्यारोपण हेतु दान में दिए जा सकते हैं। दोनों ही मामलों में किडनी का दान अंतिम अवस्था के गुर्दा रोग के मरीज़ को नया जीवन प्रदान करता है। किडनी ट्रांसप्लान्ट के बाद मरीज़ बेहतर गुणवत्ता का लम्बा जीवन जी सकता है।’’
इस दिशा में काफी प्रगति के बावजूद भी भारत में अंग दान की दर प्रति मिलियन आबादी पर 0.52 मिलियन है। ऐसे में ये आंकड़े मांग और आपूर्ति के बीच के अंतर को दूर करने की आवश्यकता पर ज़ोर देते हैं।
डॉ अनिल प्रसाद भट्ट, डायरेक्टर, डिपार्टमेन्ट ऑफ नेफ्रोलोजी एण्ड किडनी ट्रांसप्लान्ट, जेपी हॉस्पिटल ने कहा, ‘‘ट्रांसप्लान्ट की प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए इससे पहले उचित देखभाल ज़रूरी है। इसके लिए मरीज़ के पूरे स्वास्थ्य की जांच कर तय किया जाता है कि वह इस प्रक्रिया के लिए तैयार है। मेडिकल टीम, मरीज़ की मेडिकल हिस्ट्री, विभिन्न प्रकार की जांच और अंग की स्थिति को ध्यान में रखते हुए सोच-समझ कर फैसला लेती है। इसके अलावा किडनी ट्रांसप्लान्ट की तैयारी के लिए मरीज़ को सेहतमंद जीवनशैली जीने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। ताकि ट्रांसप्लान्ट के परिणाम अच्छे हो सकें।’
‘किडनी ट्रांसप्लान्ट के बाद भी मरीज़ को पूरी देखभाल की ज़रूरत होती है, ताकि मरीज़ अच्छी तरह ठीक हो जाए और ट्रांसप्लान्ट के परिणाम लम्बे समय तक सफल रहें, साथ ही अंग के रिजेक्ट होने की संभावना न रहे। इस दौरान मरीज़ के इम्यून रिस्पॉन्स को दबाने के लिए इम्युनोसप्रेसिव दवाएं दी जाती है। इसके अलावा मरीज़ को नियमित फॉलोअप, सेहतमंद जीवनशैली, उचित आहार एवं व्यायाम की सलाह दी जाती है। किडनी फंक्शन की मॉनिटरिंग की जाती है।’’ डॉ विजय के सिन्हा, डायरेक्टर, डिपार्टमेन्ट ऑफ नेफ्रोलोजी एण्ड किडनी ट्रांसप्लान्ट, जेपी हॉस्पिटल ने कहा।
कार्यक्रम के दौरान अंग दान से जुड़े मिथकों को दूर किया गया तथा अंगदान देने वाले बहादुर लोगों को सम्मानित किया गया। अधिक से अधिक लोगों को अंगदान के लिए प्रेरित करने हेतु इस विषय पर चर्चा और अनुकूल माहौल बनाना ज़रूरी है। डॉ के.आर. वासुदेवन, डॉ अमित के देवड़ा, डॉ अनिल प्रसाद भट्ट और डॉ विजय कुमार सिन्हा ने कार्यक्रम को सम्बोधित किया। बड़ी संख्या में डोनर्स के परिवारों ने भी आयोजन में हिस्सा लेकर अंगदान के महत्व पर रोशनी डाली।