जिनके पास खाने के पैसे नहीं थे, शराब ख़रीदने कैसे आ गए- आचार्य विद्या सागर जी ने दिया देश के नाम संदेश
तीर्थोदय तीर्थ क्षेत्र साँवेर रोड पर विराजित आचार्य श्री १०८ विद्या सागर जी महाराज ने आज देश के नाम संदेश दिया। आचार्य श्री ने कहा की जिन लोगों के पास कुछ दिन पहले भोजन के लिए रुपए नहीं थे, उनके पास शराब ख़रीदने के लिए पैसे कहा से आ गए?
संघस्थ ब्रह्मचारी सुनिल भैयाजी ने बताया की आचार्य श्री ने सम्बोधन किया। आचार्य श्री ने कहा की शराब और मांस ही तो क़ोरोना के दोस्त है। ये दोनो जहा रहेंगे वहा पर क़ोरोना रोग बरकरार रहेगा। लगभग २ महीने से शराब की बिक्री बंद थी, इससे लोगों ने संयम रखा हुआ था। अब फिर से शराब की बिक्री शुरू हो गयी है, इससे अब ऐसे हालात होने की सम्भावना रहेगी की हालात सुधारना मुश्किल हो जाएगा। सरकार कह रही है की इससे अर्थ व्यवस्था सुधरेगी। सही दिशा में काम करने से भी देश की अर्थ व्यवस्था का संचालन किया जा सकता है। इसके लिए इस समय शराब की दुकान खोलने की ज़रूरत नहीं है। इससे तो ओर अधिक लोगों का दिमाग़ ख़राब होगा, तबियत खराब होगी। एक ओर तो आप लोग दिन रात चिकित्सक और पुलिस को लगा कर मरने से जनता को बचाने में जुटे हो, वही दूसरी ओर शराब पिला कर मारने का काम कर रहे हो। शराब नहीं मिल रही थी इतने दिनो से तो देश में संयम, संस्कार दिखने लगा था। अब शराब पीने से लोग पागलपन करने लगेंगे। लोगों में आर्थिक, आलोकिक और धार्मिक स्वालंबन होना चाहिए।
नशा बंदी और ओर शराब बंदी से मिलेगा फ़ायदा
आचार्य श्री ने आगे कहा की आज के समय में भारत में नशा बंदी और शराब बंदी पूरी तरह से होना चाहिए। उसी से सबसे बड़ा फ़ायदा मिलेगा। इधर देश में अब बाहर की कंपनियो पर भी रोग लगाने का समय आ गया है। कारण की इन कम्पनियों के गंदे पानी से हमारी गंगा, यमुना और नर्मदा जैसी पवित्र नदियाँ का पानी दूषित होता है। फिर उस पानी के सेवन से मानव का दिमाग़ दूषित होने लगता है।
देश बंद हुआ तो भोजन को तरस गये, और अब
आचार्य श्री ने आगे कहा की जब देश में क़ोरोना से बचाव के किए लाकड़ाउन किया तो लोग भोजन को तरस गए थे। सरकार ने व्यवस्था भी की साथ ही अनेक संस्थाओ ने भी मदद की। अब जैसे शराब की दुकाने खुली तो लोगों के पास पैसे आ गए। लम्बी लाइन लगा कर शराब ख़रीदने पहुँच गए। इसी से क़ोरोना के फैलने का सबसे अधिक सम्भावना रहेगी।