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जैन धर्म में भगवान
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– वैद्य अरविन्द प्रेमचंद जैन जैन धर्म की ऐतहासिकता के अलावा जैन धर्म के सिद्धांत, दर्शन के बारे में बहुत से लोग अनिभिज्ञ हैं। जैन धर्म कर्मवाद/भाव पर अधिक ध्यान देता हैं। संसार यानी भृमण करना, और मुक्ति यानी इस भृमण से मुक्त होना। मानव मोह के कारण संसार में घूमता हैं मोह रूपी सम्राट के […]
चर्मरोग से बचने के लिए सूती वस्त्र होते है लाभकारी – आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
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आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज अपने प्रवचन मे कहा है की यदि आप चिकित्सालय जाते हैं तो मरहम पट्टी करवाते हैं जो पट्टी आप लगाते हैं वह विदेशी नही होती है, वह खादी की होती है। क्योंकि आपके पास जो पहना हुआ वस्त्र है, उसमें से हवा पानी आर-पार नही होती है। इसलिए वह कपड़ा […]
सम्यग्दर्शन के साथ शुचिता ही उत्तम शौच है – एलाचार्य अतिवीर मुनि
Posted on Author Rishabh Jain
परम पूज्य एलाचार्य श्री 108 अतिवीर जी मुनिराज ने पर्वाधिराज दसलक्षण महापर्व के अवसर पर भारतवर्षीय दिगम्बर जैन संघ भवन, कृष्णा नगर, मथुरा में चतुर्थ लक्षण “उत्तम शौच धर्म” की व्याख्या करते हुए कहा कि शुचिता अर्थात् पवित्रता का नाम है शौच, जो कि लोभ कषाय के अभाव में प्रकट होता है| लोभी, लोभ के […]