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“अग्निवीर न केवल सैनिक बल्कि प्रेरक, अन्वेषक और देश की संप्रभुता के भी रक्षक हैं”-चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान

रक्षा प्रमुख ने मराठा रेजिमेंटल सेंटर और एयरमैन ट्रेनिंग स्कूल, बेलगावी में अग्निवीर प्रशिक्षुओं के साथ बातचीत की

रक्षा प्रमुख (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने कहा कि अग्निवीर ने केवल सैनिक बल्कि प्रेरक, अन्वेषक और देश की संप्रभुता के रक्षक भी हैं। 20 मई, 2024 को मराठा रेजिमेंटल सेंटर और एयरमैन ट्रेनिंग स्कूल (एटीएस), बेलगावी में प्रशिक्षण ले रहे अग्निवीरों के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने यह बात कही।

सैन्य सेवा के श्रेष्ठ उद्देश्य और सैन्य ढांचे के अंतर्गत इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए, रक्षा प्रमुख ने मराठा रेजिमेंटल सेंटर में सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए अग्निवीरों की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह राष्ट्र के प्रति उनके असाधारण कर्तव्य का प्रमाण है।

सैनिकों और उनके परिवारों के सामने आने वाली व्यक्तिगत चुनौतियों और चुनौतीपूर्ण वातावरण में काम करते समय आने वाली बाधाओं को स्वीकार करते हुए, जनरल अनिल चौहान ने आश्वासन दिया कि विभिन्न कठिनाइयों के बावजूद, अग्निवीरों को सैन्य सेवा बेहद हितकारी लगेगी और उनका हर कदम उनका व्यक्तिगत का विकास करेगा और उन्हें राष्ट्र सेवा में गर्व की अनुभूति होगी।  

युद्ध की उभरती प्रकृति के बारे में उन्होंने कहा कि साइबर युद्ध, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और असीमित खतरों ने भविष्य में संघर्ष की जटिलता व अप्रत्याशित स्थिति उत्पन्न कर दी है और अब ये तत्व युद्ध के मैदान के अभिन्न अंग बन गए हैं। उन्होंने प्रौद्योगिकी एकीकरण और निरंतर सीखने के बारे में भी बात की तथा उल्लेख किया कि नवीनतम प्रगति के अनुरूप कार्य करने के लिए युद्ध के प्रति नवीन दृष्टिकोण प्रदर्शित करने की भी आवश्यकता है।

एटीएस, बेलगावी की अपनी यात्रा के दौरान, सेना प्रमुख ने भारतीय वायुसेना के अग्निवीरवायु प्रशिक्षण की गतिविधियों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए प्रशिक्षण संस्थान का दौरा किया। उन्होंने 2022 में रक्षा मंत्रालय द्वारा शुरू की गई संशोधित प्रक्रिया के अनुरूप प्रशिक्षण ले रहे अग्निवीरवायु प्रशिक्षुओं के तीसरे बैच के साथ बातचीत की। उन्होंने प्रशिक्षुओं को युद्ध की चुनौतियों का सामना करने, तकनीकी रूप से कुशल सैनिक बनने के प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहित किया।

सीडीएस ने कहा कि सीखना-एक आजीवन प्रक्रिया है, यह विशेष रूप से युद्ध के निरंतर विकसित और गतिशील क्षेत्र में कौशल उन्नयन की जिम्मेदारी की गहन भावना को शामिल करता है। उन्होंने प्रशिक्षुओं को सलाह दी कि वे पेशेवर उत्कृष्टता की खोज में सर्वदा ईमानदारी, शारीरिक फिटनेस, अनुशासन और दल-भावना के मूल्यों को बढ़ावा देने की सलाह दी।

प्रशिक्षण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, रक्षा प्रमुख ने एटीएस के प्रशिक्षण संकाय और मराठा रेजिमेंटल सेंटर द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की। उन्होंने राष्ट्र की परिचालन शक्ति को आगे बढ़ाने के लिए उत्कृष्ट प्रयास करते रहने का आग्रह किया।

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