द्वारका शारदापीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की इच्छा है कि अयोध्या में बनने वाला भगवान श्रीराम का मंदिर कम्बोडिया के अंकोरवाट मंदिर की तरह भव्य बने। इसका एक मॉडल शंकराचार्य के त्रिवेणी मार्ग स्थित माघ मेला शिविर में प्रदर्शित किया जाएगा। शंकराचार्य के प्रतिनिधि एवं मनकामेश्वर मंदिर के प्रभारी ब्रह्मचारी श्रीधरानंद ने बताया कि मंदिर बनने में तीन-चार साल का समय लगने का अनुमान है।
जब तक मंदिर नहीं बन जाता तब तक रामलला के विग्रह को स्वर्ण जड़ित छोटे मंदिर में रखा जाएगा। चंदन की लड़की से मध्य प्रदेश में बन रहे इस मंदिर को सोने के पत्तर से ढका जाएगा। स्वर्ण जड़ित मंदिर का निर्माण एक महीने में पूरा हो जाएगा। स्वर्ण जड़ित मंदिर को शंकराचार्य स्वयं अयोध्या लेकर जाएंगे और रामलला के विग्रह को प्रतिष्ठित करेंगे। इन दोनों विषयों की घोषणा शंकराचार्य मेला स्थित अपने शिविर में 20 से 24 जनवरी तक होने जा रही धर्मसभा में करेंगे। स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज 19 या 20 जनवरी को प्रयागराज आएंगे और मौनी अमावस्या का स्नान करने के बाद प्रस्थान होगा।
कंबोडिया का अंकोरवाट मंदिर यूनेस्को की धरोहर में शामिल है। 162.6 हेक्टेयर या 402 एकड़ में स्थित मंदिर मूल रूप से खमेर साम्राज्य के लिए भगवान विष्णु के हिंदू मंदिर के रूप में बनाया गया था। जो धीरे-धीरे 12वीं शताब्दी के अंत में बौद्ध मंदिर में परिवर्तित हो गया था। इसका निर्माण सम्राट सूर्यवर्मन द्वितीय (१११२-५३ई.) के शासनकाल में हुआ था। पर्यटक यहां वास्तुशास्त्र का अनुपम सौंदर्य के साथ ही सूर्योदय और सूर्यास्त देखने भी आते हैं।
19 को आएंगे शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती
पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती 19 जनवरी को माघ मेला क्षेत्र के तुलसी मार्ग स्थित अपने शिविर में आएंगे और 24 फरवरी को संगम में मौनी अमावस्या का स्नान करेंगे। 20 से 31 जनवरी तक प्रतिदिन सुबह 11.30 बजे से और शाम को 5.30 बजे से तक दर्शन देंगे। इस दौरान संगोष्ठी व दीक्षा कार्यक्रम भी होंगे। एक फरवरी को पुरी के लिए प्रस्थान करेंगे।